वोटों के लिए धर्म के राजनीतिकरण का नतीजा है हरिद्वार कुम्भ का कोरोना विस्फोट 

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

 

 

कोरोना के प्रकोप को और भड़का गया हरिद्वार कुंभ

 

-जयसिंह रावत

विश्वव्यापी कोरोना महामारी के साये में हरिद्वार महाकुंभ 2021 के 7 स्नान पर्व और सन्यासियों के 3 शाही स्नान निकलने के साथ ही एक करोड़ से कहीं अधिक श्रद्धालु गंगा स्नान करके निकल गये और अब भारत सरकार को संसार के इस सबसे बड़े धार्मिक समागम से महामारी फैलने की आशंका नजर रही है। राज्य सरकार की नींद तो अभी भी नहीं खुली, क्योंकि मुख्यमंत्री यह मानने का तैयार नहीं कि गंगा स्नान से भी कभी कोरोना हो सकता है। जबकि महाकुंभ में बिखरे कोराना महामारी के बीज देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु और सन्यासी अपने साथ प्रसाद के तौर पर ले कर चले गये। सरकार ने कहीं तो 20 से अधिक लोगों को शमशान में तक एकत्र होने नहीं दिया और धर्म के नाम पर हरिद्वार में करोड़ों लोग बिना सुरक्षा इंतजाम के एकत्र कर दिये।

मोदी जी की अपीलः हजूर आते-आते बहुत देर कर दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और गृहमंत्री अमित शाह की बैरागी अखाड़े के अध्यक्ष राजेन्द्र दास से मात्र साकेतिक कुंभ की अपील तब आयी है जबकि सन्यासियों के सारे शाही स्नानों के साथ ही कुल 7 स्नान पर्व निकल गये। प्रधानमंत्री की अपील के बाद नागा संन्यासियों के सबसे बड़े जूना अखाड़ा द्वारा कुंभ विसर्जन की घोषणा कर दी गयी। इस घोषणा में जूना के साथ अग्नि, आह्वान और किन्नर अखाड़ा भी शामिल हैं। पंचायती अखाड़ा निरंजनी और तपोनिधि आनंद अखाड़ा ने पहले ही कुंभ विसर्जन कर दिया था। देखा जाय तो अब केवल बैरागी अखाड़ों का 24 अपै्रल को रामनवमी स्नान तथा 27 का चैत्र पूर्णिमा का शाही स्नान ही बाकी रह गया है। अगर सरकारी आंकड़ों पर ही भरोसा करें तो कुंभ की घोषणा के बाद अकेले अप्रैल माह में ही लगभग 1 करोड़ से अधिक स्नानार्थी पवित्र डुबकी लगा कर वापस चले गये। स्नान घाटों और अखाड़ों में लाखों की भीड़ के समय जब कोरोना से बचाव के लिये नियमों का पालन होना था तब हुआ नहीं अब तो जो होना था सोे हो ही चुका है।

लाखों लोग ले गये हरिद्वार से कोराना

कुंभ नगरी हरिद्वार में कोरोना का विस्फोट खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है। वहां शायद ही ऐसी कोई गली हो जिसमें महामारी का सक्रमण पहुंचा हो। सन्यासियों के सभी 13 अखाड़ों में संक्रमण पाया गया मगर कोई भी कंटेनमेंट जोन के दायरे में नहीं आया। एक-एक अखाड़े में कुंभ के दौरान हजारों सन्यासी ठहरे हुये थे जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु सन्तों का आशिर्वाद लेने पहुंचे। शुरू में इन सन्यासियों की कोविड टेस्ट की जरूरत ही महसूस नहीं की गयी। जूना अखाड़े के 9 सन्त भी पॉजिटिव मिले हैं। हरिद्वार जिले में अब तक 20 से अधिक लोग सवंमित पाये गये। महानिर्वाणी अखाड़े के महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल देव और हरियाण के रुद्राक्ष बाबा की कोरोना से मौत हो गयी। जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी और महामंत्री नरेन्द्र गिरी जैसे कई बड़े सन्तों की जान बचाने के लिये उन्हें अस्पताल पहुंचाने पड़ा। अखिलेश यादव जैसे कई वीआइपी हरिद्वार से लौटने के बाद संक्रमित हो गये। कई अखाड़े खाली हो गये हैं और कुछ खाली हो रहे हैं। ये सन्यासी कहां गये और किस हाल में गये, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। उनके तो पहले और ना ही बाद में कोराना टेस्ट हुये। हरिद्वार कुंभ के स्नानार्थियों की टेªेसिंग और ट्रैकिंग की कोई व्यवस्था नहीं है।

गंगा नहाने से कोरोना भगाने का किया प्रचार



महाकंुभ के बाद अगर कोरोना के संक्रमण का विस्फोट होता है तो इसका दोष उत्तराखण्ड सरकार के सिर तो मढ़ा ही जायेगा, क्योंकि मेले के संचालन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही थी जिसके लिये केन्द्र सरकार लगभग 405 करोड़ की सहायता दे चुकी थी। वर्तमान तीरथसिंह रावत सरकार से पहले भाजपा की ही त्रिवेन्द्र सरकार केवल दुविधा से ग्रस्त रही अपितु उसका ध्यान मेले की व्यवस्थाओं से अधिक केन्द्र सरकार से मिलने वाली रकम पर रहा। त्रिवेन्द्र रावत ने कुंभ में 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का इस्टीमेट प्रधानमंत्री को दिया था। जबकि कोरोना के साये में इतने बड़े जमघट की कल्पना ही भयावह थी। यही नहीं लोगों को आकर्षित करने के लिये त्रिवेन्द्र सरकार निरन्तर भव्य और दिव्य कुंभ के आयोजन के दावे करती रही। लेकिन जब तैयारियों की पोल खुली तो आनन फानन में त्रिवेन्द्र रावत की जगह तीरथ रावत की ताजपोशी कर दी गयी मगर नये मुख्यमंत्री के ऊल जुलूल बयानों ने स्थिति को संभालने के बजाय और बिगाड़ दिया। तीरथसिंह ने सत्ता संभालते ही हरिद्वार जा कर देशभर के श्ऱद्धालुओं को बेरोकटोक हरिद्वार पहुंचने की अपील करने के साथ ही यह ज्ञान भी दे दिया कि गंगा नहाने से कारोना भाग जाता है। जबकि गंगा नहाने के बाद वह स्वयं भी कारोना पाजिटिव हो गये। तीरथ यहां तक कह गये कि कोराना मरकज में शामिल तब्लीगियों में फैल सकता है मगर गंगा में स्नान करने वालों में नहीं। अब समझा जा सकता है कि उत्तराखण्ड की सरकार इस अति गंभीर स्थिति में कितनी अगंभीर थी और धर्म के नाम पर करोड़ों लोगों के जीवन को संकट में डाल रही थी।

केन्द्र सरकार की सहमति से ही जुटे करोड़ों लोग

अगर केन्द्र सरकार चाहती तो नौबत यहां तक नहीं आती। बिना केन्द्र सरकार की सहमति से इतना बड़ा आयोजन संभव ही नहीं था। कोरोना गाइड लाइन में चुनावी राज्यों से अधिक छूट हरिद्वार कुंभ में केन्द्र सरकार ने दे रखी थी। केन्द्र की ओर से कुंभ की तैयारियों का फीडबैक स्वयं प्रधानमंत्री और गृह मंत्री नियमित रूप से ले रहे थे। कोविड एसओपी के अनुसार कोई आदमी मर जाता है तो उसकी शव यात्रा में बीस से अधिक लोग शामिल नहीं हो सकते। शादी-ब्याह में भी 100 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर मनाही है। देहरादून में शनिवार-रविवार लॉक डाउन लगाने के साथ ही सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में रात्रि कर्फ्यू लगा दिया गया जबकि पहाडी राज्य वैसे ही रात को सन्नाटे में डूब जाता है। लोग बाघ के डर से भी रात को बाहर नहीं निकलते। मगर जिस हरिद्वार में करोना का विस्फोट शुरू हो गया वहां कोई बंदिश नहीं लगाई गयी। प्रधानमंत्री की सोशियल डिस्ेंटसिंग और जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं की अपीलों से हरिद्वार को मुक्त कर दिया गया।

इतिहास की ओर भी अंाख मुंदी आयोजकों ने

वास्तव में अपनी धार्मिक पहचान अमिट करने के लिये केन्द्र और राज्य सरकार ने कुंभ में महामारियों के इतिहास पर ध्यान नहीं दिया। जबकि कुंभ और महामारियों का चोली दामन का साथ रहा है। रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एण्ड हाइजीन के संस्थापक सर लियोनार्ड रॉजर्स ( कण्डीसन इन्फुलेंयेसिंग इंसीडेंस एण्ड स्प्रेड ऑफ कॉलेरा इन इंडिया) के अनुसार सन् 1890 के दशक में हरिद्वार कुंभ से फैला हैजा पंजाब होते हुये अफगानिस्तान, पर्सिया रूस और फिर यूरोप तक पहुंचा था। सन् 1823 की प्लेग की महामारी में केदारनाथ के रावल और पुजारियों समेत कई लोग मारे गये थे। गढ़वाल में सन् 1857, 1867 एवं 1879 की हैजे की महामारियां हरिद्वार कुंभ के बाद ही फैलीं थीं। सन् 1857 एवं 1879 का हैजा हरिद्वार से लेकर भारत के अंतिम गांव माणा तक फैल गया था। वाल्टन के गजेटियर के अनुसार हैजे से गढ़वाल में 1892 में 5,943 मौतें, वर्ष 1903 में 4,017, वर्ष 1906 में 3,429 और 1908 में 1,775 मौतें हुयीं।

 

जयसिंह रावत

-11, फ्रेंड्स एन्कलेव, शाहनगर

डिफेंस कोलोनी रोड, देहरादून।

मोबाइल- 09412324999

 

 

 

 

 

 

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