tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post4150925797805211957..comments2023-10-25T05:42:29.254-07:00Comments on भड़ास: स्त्री का चरित्र और अविनाश का पतन?आर्यावर्त डेस्कhttp://www.blogger.com/profile/13966455816318490615noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-67165155885514136612009-02-18T06:52:00.000-08:002009-02-18T06:52:00.000-08:00मुझे याद है कि पिछले साल मई माह में जब एक ऐसा ही स...मुझे याद है कि पिछले साल मई माह में जब एक ऐसा ही संगीन आरोप हमारे सैद्धांतिक विरोधी यशवंत सिंह पर लगा था तब अविनाश दास ने उस प्रकरण को चटकारे लेकर अपने ब्लाग पर ला कर तमाशा सा खड़ा कर दिया था क्योंकि उस समय बात कुछ अलग थी लेकिन अब जब पीड़ा अपनी हुई तो दुःख होना तो मानवीय स्वभाव है। क्या कारण है कि पत्रकारिता जगत में इस तरह के आरोप को एक सुलभ हथियार की तरह से इस्तेमाल करा जा रहा है? एक विचार ये भी आता है कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि कोई ऐसी ताकत है जो कि ब्लागिंग के माध्यम से उभर कर सामने आये लोगों को यानि कि एक पैरलल मीडिया के पुरोधाओं को उखाड़ने की लामबंद साजिश कर रहा हो क्योंकि चाहे मोहल्ला हो या पंखों वाली भड़ास इनकी मजबूरी है कि ये स्वतंत्र ब्लागर नहीं है इनकी रोजी रोटी का साधन पत्रकारिता ही है तो ब्लाग को पैरलल मीडिया न बनने देने के लिये ये एक दबाव का शस्त्र है? यशवंत या अविनाश दोषी हैं या नहीं ये निर्णय कानून के क्षेत्र का है हम इसमें बिना समझे कोई राय कैसे कायम कर सकते हैं। निर्दोषों के प्रति सहानुभूति और दोषियों के प्रति आक्रोश भड़ास का सहज स्वभाव है। मेरी बात पर विचार अवश्य करिये क्योंकि इसका निशाना तो लालाजी किसी भी पत्रकार ब्लागर पर बड़ी आसानी से लगा सकते हैं।<BR/>जय जय भड़ासमुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہhttps://www.blogger.com/profile/07581617208915603720noreply@blogger.com