tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post697954348061883578..comments2023-10-25T05:42:29.254-07:00Comments on भड़ास: भड़ास के प्रधान संरक्षक व मालिक की भड़ास से सदस्यता समाप्तआर्यावर्त डेस्कhttp://www.blogger.com/profile/13966455816318490615noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-18198890682196487722009-01-06T20:16:00.000-08:002009-01-06T20:16:00.000-08:00देख लिया दुनिया ने कि कितने रंग बदलता है ये गिरगिट...देख लिया दुनिया ने कि कितने रंग बदलता है ये गिरगिट लाला..... जब जैसा माहौल तब वैसी वकालत... अब हम सब गालीबाज हो गये हैं और ये साधु हो गया है अमित द्विवेदी जैसे चिरकुटहे के साथ.....<BR/>जय जय भड़ासफ़रहीन नाज़https://www.blogger.com/profile/06194865180721569233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-15681853174145628202009-01-06T07:30:00.000-08:002009-01-06T07:30:00.000-08:00भाई रजनीश,सेंगर भइया को चुनूने काट रहे थे जैसे ही ...भाई रजनीश,सेंगर भइया को चुनूने काट रहे थे जैसे ही ये प्रकरण हुआ कि हम चोरों ने भड़ास की आत्मा चुरा कर उसे नया जन्म दिया ये आ गए अपनी पिछाड़ी खुजलाते हुए कुकुआने के लिये...<BR/>जय जय भड़ासहिज(ड़ा) हाईनेस मनीषाhttps://www.blogger.com/profile/09572026001335138221noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-21910930739797361672009-01-05T23:08:00.000-08:002009-01-05T23:08:00.000-08:00भाई,काहे का प्रधान संरक्षक और काहे का मालिक, ये भड...भाई,<BR/>काहे का प्रधान संरक्षक और काहे का मालिक, ये भड़ास के माडरेटर का छलावा था जिसे देकर उसने अपना काम निकालना था, ऐसे ओहदे तो उसने बहुतों को दिए थे और जिस जिस को दिया उसको बिना हिचक हटा भी दिया. चाहे मनीष राज हो रुपेश श्रीवास्तव इन लोगों की जुगाली से अपना धंधा चलाने वाले ने पक्के बनिया की तरह इन लोगों की लेखनी बेची और और अपना दूकान बना लिया, और ये छलावे में रहने वाले कुत्ते की तरह पंखे वाले भड़ास के मोडरेटर के लिए भोंकते रह गए और भड़ास के मोदेराटर ने अपनी दम उठा कर इनसे करवा भी लिया और इनको पुचकार भी दिया, ठंडे पड़ चुके पंखे वाले भड़ास की पुरानी पोस्ट पढिये तो मनीष राज और रुपेश के कारनामे दिखेंगे जो इंसानियत और मानवता के लिए थे जिसे भड़ास के नाम पर जुगाली करने वाले ने बेचा.<BR/>और जरा सेंगर का सोंगर ( बना रीढ़ वालों को सहायता देने वाला मैथिलि में कहावत है ) तो देखिये, नसीहत जो ख़ुद सोंगर का मोह्ताह हो उसके नसीहत,<BR/>वैसे अच्छा है क्यूंकि अब ऐसे ही ओहदे वाले पंखे को चाहिए.<BR/>राम राम, हरी हरी.<BR/>जय जय भड़ासAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-9335867509603321282009-01-05T10:20:00.000-08:002009-01-05T10:20:00.000-08:00अब चालू हो गया..............जय-जय भडास, जय-जय भडास...अब चालू हो गया..............जय-जय भडास, जय-जय भडासी................अपना मुंह अपनी गाली........लगे रहो मुन्ना भाई............................????????????राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-38401357221374149612009-01-05T06:49:00.000-08:002009-01-05T06:49:00.000-08:00देशबंधु भाई,भड़ास एक विचार है क्रांति का, एक सोच है...देशबंधु भाई,<BR/><BR/>भड़ास एक विचार है क्रांति का, एक सोच है आम आदमी का एक विश्वास है सच्चाई की लडाई का और भडासी के इन्हीं कमजोर भावों का फायदा उठाया लाला जी ने. प्रधान संरक्षक, मुख्य माडरेटर, माडरेटर, संयोजक, मुख्य प्रवक्ता, प्रवक्ता और सलाहकार जैसे शब्दों का क्षद्मता से उपयोग कर लोकतंत्र की तानाशाही यानी की पंखे वाली भड़ास ने लोकतंत्र के चीथड़े करदिये, ये सारे ओहदेदार जो पहले भड़ास की आवाज हुआ करते थे ने निरंकुशता को देख कर अपनी आवाज बंद कर ली या गाहे बगाहे कन्नी काट गए क्यूँकी ये सारे भडासी लाला जी के दूकान में अपने विचार नहीं बेच सकते हैं.<BR/>मुहं में राम और बगल में छुरी वाले से सावधान हो कर ही हमने विचारों की क्रांती के लिए नया रणभूमि चुना, वास्तव में ये रणभूमि नया है दिल में भड़ास और बस भड़ास तो यहाँ है, चोर उचक्के, गिरहकट भडासी पंखे वाले भड़ास से भड़ास कि आत्मा जो चुरा लाये हैं.<BR/>वनिक सोच, गवई और भदेश के नाम पर लोगों को चुटिया बना कर अपना इन्तजाम कर लेने वाले लोग अब हरी हरी, राम राम कर रहे हैं और इनके मुखौटे को आपने सौदाहरण दिया है जो मुखौटा उतार फेंकती है. <BR/><BR/>जय जय भड़ासAnonymousnoreply@blogger.com