tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post8498425473077667472..comments2023-10-25T05:42:29.254-07:00Comments on भड़ास: अरुणा-जय प्रकाश काण्ड पर डाक्टर वर्मा की प्रतिक्रया !आर्यावर्त डेस्कhttp://www.blogger.com/profile/13966455816318490615noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-57770940014732637362009-09-30T21:17:24.560-07:002009-09-30T21:17:24.560-07:00अरुणा और मानस प्रसिद्धि पाने के लिये कूटनीति अपना ...अरुणा और मानस प्रसिद्धि पाने के लिये कूटनीति अपना रहे हैं पुलिसिया पैतरा है। चलो नाटक का परदा गिरा देते हैं इनको "इंका सभ्यता" के शहर ’माचूपीचू’ भेज देते हैं :)<br />जय जय भड़ासदीनबन्धुhttps://www.blogger.com/profile/16791040700205738985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-54902222658159840502009-09-30T08:18:32.883-07:002009-09-30T08:18:32.883-07:00मैं सोचता हूं कि छीछालेदर किसी खास किस्म का लेदर ह...मैं सोचता हूं कि छीछालेदर किसी खास किस्म का लेदर होता है जिसके जूते नहीं बनाए जा सकते। अनिल भाई इस लेदर के बारे में शायद अधिक जानकारी रखते हैं। वैसे भी हिंदी वाले चिरकुट,दलिद्दर, छुतिहर,घिनौने,गलीज़,गंवार,बौड़म,देहाती,गालीबाज़,नीच,ईडियट,स्टुपिड और न जाने क्या क्या होते हैं। हम तो हिंदी की ग्रामीण पट्टी से निकले लोग हैं तो कीचड़ आदि मे ही लोटाई करना हमारी नियति है हमारी पतलून में कड़क क्रीज़ होती ही नहीं जिसे हमें टूटने से बचाने में पूरी जिंदगी निकल जाए<br />जय जय भड़ासडॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava)https://www.blogger.com/profile/13368132639758320994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4413051685021810107.post-84003875887694733902009-09-30T03:31:05.479-07:002009-09-30T03:31:05.479-07:00हिन्दी वाले इस छीछालेदर से ऊपर क्यों नहीं उठ सकतेहिन्दी वाले इस छीछालेदर से ऊपर क्यों नहीं उठ सकतेAnil Goelhttps://www.blogger.com/profile/04391843455543406973noreply@blogger.com