हाय मै मर जावां
मंगलवार, 9 दिसंबर 2008
देख के तेरी प्यारी सूरत
भूल गया मैं अपनी सीरत
बार-बार दिल तुझे बुलावां
हाय मैं मर जावाँ.............
आज न जाने कैसी उमंग जाग गई है। कुछ भी लिखने और पढने को दिल नही कर रहा है। शायद कुछ ऐसा देख लिया है की बस भुलाये नहीं भूलता। आँखों पर जैसे परदा पड़ गया है। क्या बताऊँ क्या सुनाऊ, कुछ समझ में नही आ रहा की क्या गुनगुनाऊ। शायद जिसकी तलाश थी उसी का दीदार तो नही हो गया ? हे ऊपर वाले दिन ढल चुका है, शाम का दिलकश शमा भी यूँ ही गुजर रहा है, रात की रवानगी भी अपने शबाब पर है। पर मेरा क्या मैं तो बस गुजरते हुआ पल को महसूस कर रहा हूँ। कुछ तो रहम कर मेरे आका, ऐसे क्यूँ उलझा दिया मुझे दुनिया - जहान की फितरत में। कितना अच्छा चल रहा था सबकुछ तुने एक ही झटके में ब्रेक लगा दिया है। आज मुझे पता चल गया है परवरदिगार , की तुम्हारी मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नही डोलता। फिर मैं तो एक अदना सा इन्सान हूँ, मेरी क्या बिसात है। ऐ खुदा मुझसे यु मुह न फेर नही तो मैं किसी को मुह दिखने लायक भी नही रहूँगा। या तो मुझे उसे मल्लिकाए हुस्न से मिला या फिर दुबारा उसका दीदार करा। माफ़ करना दोस्तों आज मूड बहुत जबरदस्त बन गया है। आज मै सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए जीऊंगा। लोग कहते है की कल किसने देखा है लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूँ की कल मै जरुर लौटूंगा अपने पुरे होशो-हवास में आपके लिए , औरों के लिए , पुरी दुनिया के लिए । लेकिन आज मुझे बख्श दीजिये ...खोकर रह गया हूँ उस जालिम की तस्वीर देखकर। मेरे भडासी दोस्तों आपके सिवा मेरा कोई नही है और न ही मुझे किसी को दोस्त बनने की इच्छा ही है। हो सकता है आपको ये लगे की मै क्या लिख रहा हूँ, लेकिन सच मानिये अंगुलियाँ अपने आप की बोर्ड पे थिरक रही हैं, मसाला कहाँ से आ रहा है मुझे कुछ पता नही। बस ऐसा लग रहा है जैसे पहले कभी नही लगा था।
थोड़ा हल्का , थोड़ा भारी
न जाने ये कैसी है खुमारी
अब तक तो किनारे बैठा
कर ली है पार जाने की तय्यारी
3 टिप्पणियाँ:
मनोज बाबू क्या बात है बड़े रोमांटिक-शोमांटिक हो रहे है तबियत तो ठीक है न? कहीं कुछ दिन बाद ऐसा न हो कि हम सब भड़ासी एक सुर में आपके लिये कहें कि ’इश्क ने गालिब निकम्मा कर दिया वरना ये भी आदमी था काम का...:)
जय जय भड़ास
अरे अरे अरे ये हमारे भड़ासी भाई को क्या हो गया? क्या पड़ोस में कोई नई किरायेदारिन रहने आ गयी है या कुछ और चक्कर है:) कुछ भी हो मरो मत भाई अभी बहुत लोगों के मुखौटे आप जैसे भड़ासियों को नोचने हैं:)
जय जय भड़ास
मनोज भैये,
दिल का हाल सुने दिल वाला. :-)
दिल मरण जो भी हो चाहे वोह इश्क़ ही क्यों ना हो भडासी अंदाज में थोड़ा सा रूमानी हो जाए.
जय जय भड़ास
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