दादा के बाद सचिन निशाने पर....

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2008

गांगुली ने संन्यास ले लिया और मीडिया के भूत ने भी गांगुली का पीछा छोरा। दादा नयी जिम्मेदारी के साथ बीसीसीआई में आ गए हैं और बेचारी मीडिया वापस दादा को याद कर रही की दादा क्योँ छोर गए हमें, हमारा प्राइम टाइम कितना हिट हुआ करता था जब हम दादा की असफलता को बड़े गर्व के साथ दिखाते थे और अपने जैसे ही एक्सपर्ट से राय भी दिलवा दिया करते थे.......लौट आओ दादा संन्यास कैंसिल कर दो हमारे प्राइम टाइम की रौनक बढ़ा दो।

ज्यादा पुरानी बात नही है, अभी अभी तो दादा गए, हमारे क्रिकेट को एक मुकम्मल अंजाम तक पहुँचने वाले सौरव गांगुली का जाना प्रदर्शन के कारण नही अपितु मीडिया के निकम्मे पैरोकार की बेसिरपैर भरी पत्रकारिता और पत्रकारिता के दुर्योधन का अपने लाला जी के प्रति वफादारी रहा। जाते जाते भी दादा ने शानदार प्रदर्शन किया और निकम्मे पत्रकार, निकम्मी और पूर्वाग्रही बी सी सी आई के साथ साथ अपने ज़माने के बेहद ही घटिया क्रिकेटरों के मुहँ पर तमाचा मार के गए, शेर कभी घास नही खाता और दादा ने जाते जाते भी शिकार ही किया।

सचिन ने चौथे मैच से वापसी की, चोट से उबरते हुए सचिन मैदान पर नजर आए, और खेल समाप्ति के बाद प्राइम टाइम को मिला नया चेहरा, तेंदुलकर का जल्दी आउट होना किसी को सुहाए या न सुहाए मगर मीडिया के लिए ख़बर की लौटरी लेकर जरूर आया और आया उन निकम्मे समीक्षकों का भी दौर जो पहले दादा के पीछे हुआ करते थे सो अब सचिन के पीछे हो लें। मीडिया से लेकर समीक्षकों की जमात में तमाम वो लोग जिनकी पहचान और आकृति औने पौने से भी छोटी, जाहिल पत्रकार और जाहिल क्रिकेट समीक्षक, सूरज को दीया दिखाने के लिए तैयार।
क्या इन निकम्मों की फौजों की वजह से सचिन को भी माला पहनना पडेगा जिनकी मौजूदगी विपक्षी के लिए एक दवाब होता है,

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