आशिकी की इबादत में यार की ही यादे होती है

बुधवार, 28 जनवरी 2009

यूँ बेवजह किसी का दिल दुखाया नही करते है
उन्हें सताया नही करते जो अपने करीबी होते है.

आशिकी की इबादत में यार की ही यादे होती है
कितना भी चाहे हो गम से घबराया नही करते है.

प्यार एक से होता है जनाब प्यार बार बार नही
चेहरे पर हो हँसी तो नजरे जरुर दौडाया करते है.

मेरी मोहब्बत के सामने यूँ ही चाँदनी शर्मा रही है
बेपनाह मोहब्बत के सामने न चिराग जलाओ यारो

मेरी मोहब्बत के सामने चाँद की रोशनी फीकी है
इस रोशनी के आगे मुझे चिराग की जरुरत नही है.

2 टिप्पणियाँ:

हिज(ड़ा) हाईनेस मनीषा ने कहा…

मिश्रा जी हम भी थोड़ा सा रूमानी हो गये...

बेनामी ने कहा…

बेहतरीन, बहुत खूब.
आपके आशिकाना होने का भी पता चला.
जारी रहिये.
साधुवाद.
जय जय भड़ास

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