पत्रकारिता के जयद्रथ का पैरोकार बना भड़ास फॉर मीडिया.
मंगलवार, 13 जनवरी 2009
भाष्कर राजस्थान के कोटा के पत्रकार रजत खन्ना को बाहर का रास्ता क्या दिखाया गया, इनके पैरोकार की हाय तौबा और पत्रकारिता की दुहाई के साथ पत्रकार के स्वयम्भू संरक्षक भी सुर में सुर मिलाते हुए पत्रकारिता की ह्त्या की दुहाई में सामने आ गए।
भड़ास फॉर मीडिया पर लगी ख़बर की माने तो हठधर्मी सम्पादक का रवैया तानाशाह और पत्रकारिता और पत्रकार का हत्यारा है।
मामले की तह तक जाने के लिए जब स्थानीय सम्पादक इंदु शेखर पंचोली से भड़ास ने संपर्क किया तो सम्पादक के शब्दों में " किसी पत्रकार को रखना या हटाना प्रबंधन का निर्णय होता है अलबत्ता पत्रकार की छवि किसी से छिपी नही रहती है। कार्यालय के अंदर मित्रवत माहोल को बना कर काम काज को करना सदैव मेरी प्राथमिकता रही है। आज जब पूरा देश पत्रकारिता और सिर्फ़ पत्रकारिता पर थू थू कर रहा है तो एक पत्रकार का दायित्व और फर्ज बनता है की लोकतंत्र के इस सबसे अहम् पाये को मजबूत कड़ी बनाये ना की ख़ुद शराब और नसे में चूर होकर पत्रकारिता और संस्थान की छवि को मटियामेट करे। मैंने ख़ुद सड़क से पत्रकारिता की शुरुआत की है और पत्रकारिता को समर्पित रहा हूँ। "
बताता चलूँ की श्री इंदु शेखर पंचोली राजस्थान के कुछ उन गिने चुने पत्रकारों में आते हैं जिन्होंने कलम और पत्रकारिता के समर्पण की बदौलत फर्श से अर्श का सफर तय किया है, अजमेर से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंचोली पहले एक छोटे से रिपोर्टर हुआ करते थे, और सड़कों की पत्रकारिता कर आम जनों से सरोकार के साथ पत्रकारिता की निष्ठा ने ही आज इन्हें सम्पादक तक पहुंचाया है।
निर्दिष्ट वेब साईट की पत्रकार का पैरोकार बनने और पत्रकारिता के दुशाशन और जयद्रथों के माध्यम से लोकप्रियता का जमा पहनने की कोशिश निसंदेह पत्रकारिता को भी घेरे में लता है।
जय जय भड़ास
भड़ास फॉर मीडिया पर लगी ख़बर की माने तो हठधर्मी सम्पादक का रवैया तानाशाह और पत्रकारिता और पत्रकार का हत्यारा है।
मामले की तह तक जाने के लिए जब स्थानीय सम्पादक इंदु शेखर पंचोली से भड़ास ने संपर्क किया तो सम्पादक के शब्दों में " किसी पत्रकार को रखना या हटाना प्रबंधन का निर्णय होता है अलबत्ता पत्रकार की छवि किसी से छिपी नही रहती है। कार्यालय के अंदर मित्रवत माहोल को बना कर काम काज को करना सदैव मेरी प्राथमिकता रही है। आज जब पूरा देश पत्रकारिता और सिर्फ़ पत्रकारिता पर थू थू कर रहा है तो एक पत्रकार का दायित्व और फर्ज बनता है की लोकतंत्र के इस सबसे अहम् पाये को मजबूत कड़ी बनाये ना की ख़ुद शराब और नसे में चूर होकर पत्रकारिता और संस्थान की छवि को मटियामेट करे। मैंने ख़ुद सड़क से पत्रकारिता की शुरुआत की है और पत्रकारिता को समर्पित रहा हूँ। "
बताता चलूँ की श्री इंदु शेखर पंचोली राजस्थान के कुछ उन गिने चुने पत्रकारों में आते हैं जिन्होंने कलम और पत्रकारिता के समर्पण की बदौलत फर्श से अर्श का सफर तय किया है, अजमेर से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले पंचोली पहले एक छोटे से रिपोर्टर हुआ करते थे, और सड़कों की पत्रकारिता कर आम जनों से सरोकार के साथ पत्रकारिता की निष्ठा ने ही आज इन्हें सम्पादक तक पहुंचाया है।
निर्दिष्ट वेब साईट की पत्रकार का पैरोकार बनने और पत्रकारिता के दुशाशन और जयद्रथों के माध्यम से लोकप्रियता का जमा पहनने की कोशिश निसंदेह पत्रकारिता को भी घेरे में लता है।
जय जय भड़ास
1 टिप्पणियाँ:
आप की बात पढ़ी फ़िर पुरि ख़बर पढ़ी ,
लकिन क्या कार्टून बनना एक जुर्म है ,
या किसी उस बन्दे का कार्टन बनना जुर्म है जो हमे प्रभावित कर सकता है ,
अगर इसी परकार से हर पत्रकार सिर्फ़ ख़ुद को
ध्यान मे रख कर किसी ग़लत बात को मीडिया मे उछालता है तो उस का बहिष्कार किया जाना चाहिये , और अगर वो सही कर रहा है तो उस को कम से कम प्रोत्साहन तो मिलना ही चाहिए
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