मंदी में घोटाला ये कैसा गड़बड़झाला
मंगलवार, 13 जनवरी 2009
डॉन का इंतजार तो ग्यारह मुल्कों की पुलिस कर रही है लेकिन डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नही, नामुमकिन भी है? फिल्मों में बोला जाने वाला यह डिअलोग न जाने कितने छुटभय्ये गुंडों का जुमला बन गया। लेकिन अब इनको फिर से सोचना पड़ जाएगा क्यूंकि डॉन पकड़ा गया है, अरे-अरे चौंकिए बिल्कुल नही डॉन को पकड़ने वाला कोई पुलिस नही और न ही सुरक्षा एजेंसियों के नुमएंदे, डॉन को पकड़ा है मंदी ने , जी हाँ जैसा की पुरी दुनिया में मंदी अपने पैर पसर चुकी है और लगभग सभी विकसित व् विकाशशील देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। तो भला डॉन उसकी नज़र से कैसे बच पता, मुंबई पुलिस के मुताबिक डॉन कई निवेशों से अपना हाँथ खीच लिया है। वैसे मंदी ने अपना खेल दिखाना सुरु कर दिया है , देखिये सहारों में शहर राजधानी दिल्ली का हाल , जिंदगी भर की जमापूंजी जुटाकर फ्लेट लिया था अब उसपर भी घोटाला हो गया जाँच चल रही है? मगर उनका क्या जिनकी सपना टूट गया और जिनका भरोषा टूट गया। समाज के भ्रस्त लोग और सरकारी घुसखोर अधिकारीयों की मिलीभगत से हर सरकारी योजनाओं का माल गड़प कर लिया जाता है। हर बार जाँच बैठती है लेकिन मामला वही ढक के तीन पात ही रहता है। सरकारी योजनाओं पर गिद्ध दृष्टि गडाये इन भ्रस्ताचारियों पर कोई कारवाही नही होती है। देखिये मंदी किस किस को मारती है । सत्यम को मार तो उसके साथ लाखों निवेशक बेमौत मारे गए हैं जाँच चल रही है , अपराधी जेल में भी हलवा-पुरी उडा रहे हैं , साहेब के लिए मुर्गमुसल्लम का भी इंतजाम जरुर होगा , लेकिन उनका क्या जिनकी रोटी पानी पर भी लाले पड़ गए , क्या सरकार उनके लिए कुछ कर सकेगी? हो सकता है मंदी ने बहुतों को रुलाया हो लेकिन भय्या अपनी तो मौज है , न उधो से लेना और न माधो को देना । पहले भी फटेहाल थे और अब भी कंगाल हैं , लेकिन मंदी ने हम जैसों के लिए आनंद के दरवाजे खोल दिए हैं , मंदी की मार खाए लोगों का मुरझाया चेहरा और घटती कीमतें कलेजे को ठंडक दे जाती है। मंदी महाराज से उम्मीद है की और घोटालों की पोल खुले ताकि स्वानों को धुल पिलाने वालों को भी पानी की कीमत का पता चलता रहे........
जय भड़ास जय जय भड़ास
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