जैसा खाओ अन्न वैसा हो मन
शुक्रवार, 9 जनवरी 2009
अपनी भड़ास को सीधे ही अपने ई-मेल द्वारा इस पते पर भेजिये bharhaas.bhadas@blogger.com
भड़ासी अपने चिट्ठों को यहां भड़ास के अपने एग्रीगेटर पर सूचीबद्ध करें अपने चिट्ठे का URL सीधे ही हरे रंग के प्लस(+)के चिन्ह पर क्लिक करके जोड़िये
© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
Back to TOP
2 टिप्पणियाँ:
अरे दीदी जी कुछ लिखे बिना ही पोस्ट डाल दी क्या बात है कुछ गोपनीय संदेश है क्या किसी के लिए??
कृष्णा जी,
मन तो बाग़ बाग़ हो गया, शीर्षक पढ़ कर ही आगे लिखेंगी तो बल्लियों उछलने लगेगा ;-)
जय जय भड़ास
एक टिप्पणी भेजें