प्रशांत का इलाज-2

मंगलवार, 17 फ़रवरी 2009

प्रशांत द्वारा दी गई लाजिक की परिभाषा मुझे बहुत समझ में आई नहीं। हो सकता है मेरी बूझदानी ही कमजोर हो। वैसे प्रशांत मैथ के अध्यापक हैं तो २ और २= ५ सिद्ध करना इनके लिए आसान काम होगा। प्रशांत भाई आपने कहा कि मुनव्वर सुल्ताना जी मुस्लिमों के खिलाफ लिखती हैं। किसने कहा आपसे ये. या तो आपने उन्हें अभी भी नहीं पढ़ा या आप समझ ही नही पाए। वो रूढिवाद के खिलाफ लिखती हैं। और तार्किक लिखती हैं न कि आपकी तरह अतार्किक तथ्य को आधार बनाती है। आपको दो simple apprehension चाहिए judgement तक पहुँचने के लिए। मैं आपको देता हूँ। पहला इराक़ दूसरा अफगानिस्तान । मै चाहूँगा इन दोनों apprehension के सहारे आप अमरीका के लिए एक judgement तय करें।
आपने कहा दुनिया में होने वाले अधिकतर आतंकवादी हमले मुस्लिमों द्वारा किए जाते हैं। अमरीका द्वारा इराक़, वियतनाम और रूस पर किया गया छद्म हमला क्या है? यार अगर आप विश्व पटल पर आतंकवाद की बात करना चाहते हैं तो आपको अपनी जानकारी का दायरा बढ़ाना होगा। ये लड़ाई दरअसल यहूदी और इस्लाम के बीच है। यहूदियों ने संचार माध्यमों का उपयोग कर के एक ऐसा प्रोपगंडा तैयार किया कि इस्लाम की पूरी लड़ाई ही आतंकवाद बनकर रह गई। ऐसे में लादेन और मुल्ला उमर जैसों ने इस सोच को दुनिया को मनवाने के लिए एक तरह से अमरीका की मदद ही की। साथी वो अमरीका के पुराने थे ही। इस प्रोपेगंडा का शिकार यासिर अराफात जैसा नेता भी हुआ। तो जो हमले अमरीका या ब्रिटेन में हो रहे हैं ये उनकी लड़ाई है उनकी इस लड़ाई से हमारा कोई लेना देना नहीं। इराक़ हमारा दोस्त था इरान हमसे व्यापारिक सम्बन्ध बनाना चाहता है। इस से फायदा हमें है मगर नुकसान अमरीका को दिख रहा है। दरअसल अमरीका के हुक्मरान किसी भी विकासशील देश को आगे बढ़ता देख ही नहीं सकते। इसीलिए वो भी हमें आतंकवाद और कश्मीर में उलझाये रखना चाहता है। तो जो बड़ा दुश्मन हमें नहीं दिख रहा है वो है अमरीका। वैश्विक आतंकवाद और भारत में हो रही आतंकी घटनाओं में बहुत अन्तर है। वो शुद्ध रूप से इजराईल और फिलिस्तीन की धरती से उपजी हुई जंग है। जिस से हमारा कोई सरोकार नहीं. अगर हम भारत के आतंकी वारदातों पर बात कर रहे हैं तो।
अब भारत की बात करते हैं। आपने अपनी लाईनों में कहा->" भारत की आन बान शान।हिन्दु हिन्दी हिन्दुस्तान।" जाओ यही बात ठाकरे परिवार के सामने कहो। हिन्दी का नाम लेकर देखो। मुझे यकीं है कि आपको अहसास हो गया होगा कि ऐसा करने पर आपके साथ क्या होगा। हिन्दी का नाम लेते ही आप पर हमला हो सकता है। याद रहे ये वही ठाकरे परिवार है जिसके गुंडों ने अन्गिन्तों बार हिंदू कट्टरपंथ का नंगा नाच किया था। तब आप जैसे लोगों के लिए ठाकरे भगवान् बन बैठा था। आज उसी ठाकरे परिवार के गुंडों ने आपके बांसगांव के समीप के sidharthnagar के मजदूर की जान ले ली। क्यूँ कि वो हिंदीभासी था। भाई मेरे कट्टरपंथ होता ही ऐसा है जो इसे पनाह देता है उसे एक न एक दिन डसता जरूर है। चाहे वो अमरीका का तालिबान हो या पाकिस्तान का अल कायदा या फ़िर तुम्हारा ठाकरे परिवार, शिव सेना और ऐसी ही न जाने कितनी सेनाएं। ठीक है आपके अनुसार आज एक ही प्रज्ञा ठाकुर है मगर आप जैसे लोग अगर यूँ ही कठपुतली बनते रहे तो कई प्र्ग्याओं के लिए बहुत इन्तजार नहीं करना पड़ेगा। और घूम घूम कर भारत को भी दुनिया को समझाना होगा कि नहीं साहब हमारे यहाँ के सभी लोग आतंकवादी नहीं होते। आप मुझे समझिए क्यूँ बने अयोध्या में राम का मन्दिर। क्यूँ कि आप जैसे लोगों ने वहां एक मस्जिद को जमींदोज किया है? उस असभ्यता के दौर में बहुत से मन्दिर तोडे गए तो आज उन गडे मुर्दों को क्यूँ उखाडा जाय? आपको पता है ९२ के पहले कम से कम उस स्थान पर सुकून से पूजा होती थी कई मंदिरों में अब ये पूजा बंद हो चुकी है। क्यूँ कि वो अधिग्रहीत परिसर के भीतर चले गए हैं। किस भगवान् ने आपसे कहा कि बड़े से मन्दिर में ही उनकी पूजा की जा सकती है? भगवान् तो दिल में होते हैं यार। ये मै लंतरानी नहीं मार रहा इसमे यकीन करता हूँ। दरअसल ये मन्दिर मस्जिद की नहीं महज जिद की लड़ाई है।

2 टिप्पणियाँ:

दीनबन्धु ने कहा…

चंदन भाई मर्ज भी सही पहचान लिया आपने और इलाज भी सही दे रहे हैं आशा है कि जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगे।
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

चंदन भाई आपने सुना होगा न कि भैंस के आगे बीन बजावै भैंस खड़ी पगुराए....
इसमें भैसं जितनी भी अक्ल होती तो आपकी बात समझता।
जय जय भड़ास

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