बचे-खुचे सब गांधीवादी...

सोमवार, 16 फ़रवरी 2009


कहते थे, मैं उड़ूं गगन में...

और काट लिए तुमने ही पर।


बेखौफ में रहता कैसे बताओ?

कुछ ज्यादा था अपनों से डर।

लगी बोझ जब मां को बिटिया...

करी विदा हाथ पीले कर।


न मिली नौकरी बाप ने झिड़का...

निकल निकम्मे, कुछ भी कर।


बचे-खुचे सब गांधीवादी...

क्यों नहीं जाते शर्म से मर।


अमिताभ बुधौलिया 'फरोग'

3 टिप्पणियाँ:

अजय मोहन ने कहा…

आग है भाई एक दम पैट्रोल लिखावट है
जय जय भड़ास

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

आप लोग इतनी गहरी बातें लिख देते हैं कि चार-चार दिन तक भेजा घूमा रहता है
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

अमिताभ भाई,
सच को इस आसानी से कह गए की अब ये पाच नही रहा.
बस सच कहते रहिये,
बढिया और सटीक लिखा है.
जय जय भड़ास

प्रकाशित सभी सामग्री के विषय में किसी भी कार्यवाही हेतु संचालक का सीधा उत्तरदायित्त्व नही है अपितु लेखक उत्तरदायी है। आलेख की विषयवस्तु से संचालक की सहमति/सम्मति अनिवार्य नहीं है। कोई भी अश्लील, अनैतिक, असामाजिक,राष्ट्रविरोधी तथा असंवैधानिक सामग्री यदि प्रकाशित करी जाती है तो वह प्रकाशन के 24 घंटे के भीतर हटा दी जाएगी व लेखक सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी। यदि आगंतुक कोई आपत्तिजनक सामग्री पाते हैं तो तत्काल संचालक को सूचित करें - rajneesh.newmedia@gmail.com अथवा आप हमें ऊपर दिए गये ब्लॉग के पते bharhaas.bhadas@blogger.com पर भी ई-मेल कर सकते हैं।
eXTReMe Tracker

  © भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८

Back to TOP