गुलाम दिमाग की भारत माता प्रेम सिंह
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गुलाम दिमाग की भारत माता प्रेम सिंह कभी-कभी जैसे ही मैं किसी सभा में
पहुंचता था, मेरे स्वागत में अनेक कंठों का स्वर गूंज उठता था – “भारत माता की
जय”। मैं ...
18 घंटे पहले
3 टिप्पणियाँ:
आग है भाई एक दम पैट्रोल लिखावट है
जय जय भड़ास
आप लोग इतनी गहरी बातें लिख देते हैं कि चार-चार दिन तक भेजा घूमा रहता है
जय जय भड़ास
अमिताभ भाई,
सच को इस आसानी से कह गए की अब ये पाच नही रहा.
बस सच कहते रहिये,
बढिया और सटीक लिखा है.
जय जय भड़ास
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