दिल तोड़ने की सजा का कानून मे क्या प्रावधान है?

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

दूसरी कड़ी (पहले भाग को यहाँ से पढ़े -रिश्ते बनने मे बाधक है विश्वाश)

आज फिर एक प्रश्न लेकर हाजिर हूँ आपसबों के समक्ष:
क्या दिल तोड़ने के लिए कानून मे कोई प्रावधान है? क्या इसमे दर्द नही होता? क्या सारे चोट भौतिक रूप से दृष्टिगोचर होते है? दिल पर लगी चोट को कैसे दिखाया जा सकता है? क्या कभी आपने किसी मर्द को फूट फूट कर रोते देखा है?
मैंने देखा है और सुनी है रामकहानी रिमझिम बरसते नयनो के साथआलंकारिक रूप से नयन स्त्रीलिंग के लिए रूढ़ हो जाते है पर मेरे सामने बैठा इन्सान पुरूष था5 वर्षों से जिसके लिए वह सबकुछ छोड़ कर जी रहा था उसने एक झटके मे उससे कह दिया कि अब मै नही रह सकती तुम्हारे साथ? आज तक जो था प्यार नही बस inflactuation थाऔर जनाब अवाक् हो सुना कर लौट आएफिर याद आई उनसे पॉँच साल पुराने दोस्त की तो मेरे सामने कर बैठ गएपॉँच साल तक साथ जीने मरने की कसमे खाने, एक लड़की के लिए हर रिश्ते से दूर होते जाने और प्यार को जिंदगी मान लेने के बाद जब इन्सान को इस प्रकार का जवाब मिले तो उसके दर्द को हम समझने का बहाना तो कर सकते, पर समझ नही सकते
वह इन्सान जो उसके साथ कुछ भी कर सकता है, उसके प्रेम पत्र, उसके फोटो, और जाने कितनी चीजे लेकर उसे परेशान कर सकता था उसने मात्र इतना ही कहा कि जाओ तुम खुश रहो और भींगी आँखों के साथ वापस गयापर अब मै उसे कैसे संभालूं? पागल बस एक ही सवाल पूछता जा रहा है कि दिल तोड़ने की भी कोई सजा होती है क्या? मै क्या जवाब दूँ उसे? समझाने की कोशिश कर रहा हूँ, पर समझाना कब इतना आसान हुआ है?
नींद की दवा खाने के सोना और उठाकर फिर ख़ुद को व्यस्त करने का दिखावा करना, यही प्यार का अंजाम है तो भगवान ना करे कि कोई प्यार करे। कहते है समय शायद सब घाव भर देता है पर ये समय आएगा कब? आज जब उसने कहा कि तो अब वह कभी प्यार पर विश्वाश कर पायेगा ना ही जिन्दगी मे किसी से शादी कर पायेगा, तब से मै बैठा हूँ और सोच रहा हूँ कि कोई पोस्ट लिखूपर मन तो कुछ सोच ही नही पा रहाएक इन्सान का टूटा और उदास चेहरा बस आँखों के सामने पड़ा है?
अगर कोई लड़की होती तो उसपर विश्वाश्घात, शारीरिक शोषण और ना जाने कितने आरोप लगा सकती थीपर एक पुरूष के पास तो यह भी अधिकार नहीऔर टूटा दिल किसी को दिखाया नही जा सकता है...

रिश्तों पर एक और पोस्ट
वह सम्बन्ध ही क्या जो बार-बार टूटे नहीं

3 टिप्पणियाँ:

dr amit jain ने कहा…

अभिषेक फिर चोरी कर ली , ये पोस्ट आप ने http://rematmaniyur.mywebdunia.com/2008/06/18/1213738020000.html से कॉपी की और अपने ब्लॉग पर पेस्ट कर दी , आप का दोस्त के नाम पर ? वह ये (सम्बन्ध
टिप्पणी जोड़ें santosh rashtrapremi द्वारा 18 जून, 2008 2:57:00 AM IST पर पोस्टेड # ) है /
अपने ब्लॉग को पापुलर करने का सही तरीका निकाला है amitjain

अजय मोहन ने कहा…

पहले डा.रूपेश जी पर लगाए तानाशाही के आरोप को स्पष्ट करिये बाद में कुछ अलग लिखिये।
जय जय भड़ास

dr amit jain ने कहा…

मई अजय मोहन जी से सहमत हु

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