प्रशांत आप आतंकवादी बन रहे है
शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009
सबसे पहले तो मै सभी भड़ासियों से क्षमाप्रार्थी हूँ कि मै इस मुद्दे पर कलम चलने का दुस्साहस कर रहा हूँ। वैसे न तो मै प्रशांत भाई को जानता हूँ ना ही डाक्टर रुपेश को, पर एक पाठक होने के नाते जो दिख रहा है और भड़ास पर जो चल रहा है उसपर लिखने की प्रबल इच्छा हो गई। अगर ग़लत-सलत लिखू तो आप बुद्धिजीवी जरुर सुधार दे।
सबसे पहले भाई प्रशांत मै कामना करता हूँ कि आप चिर युवा रहे और कभी ऐसा वक्त ना आए कि कोई आपको बुढउ कह सके। पर बुढा होना कोई गाली नही है और इसे गाली की तरह प्रयोग मे भी नहीं लाना चाहिए। मुझे लगता है कि आपने इस शब्द का उपयोग अपनी शारीरिक क्षमता से डॉ साहब को डराने के लिए किया है, है ना। पर आपके ही शब्दों मे मै कहू कि अगर डॉ साहब दाउद से पैसे लेते है तो आप तो आपकी सारी शारीरिक क्षमता किसी कीडे भुनगे से ज्यादा साबित नही होगी दाउद के सामने।
वैचारिक विरोध का स्वागत होना चाहिए, होता है और भड़ास है भी इसी काम के लिए, पर आपको अपने विचारो पर भी भरोसा होना चाहिए। प्रशांत भाई मुझे तो लगता है कि आपको इतना भी विश्वाश नही कि कोई आपके पोस्ट को पढेगा, तभी तो एक ही पोस्ट से सारा जगह भरने पर तुले है। ये तो वही मिसाल हुई कि खाली मैदान देख कर हर जगह हगने लगे। इतना हगने और सारी गन्दगी उलटी करने से कुछ नही होता है, हाँ यह बीमारी की निशानी जरुर है और इसके लिए आपको डॉ की जरुरत है।
भाई प्रशांत मैंने आपके बहुत सारे पोस्ट पढ़े। अच्छा लिखते है, हिंदूवादी है, राष्ट्रहित की बात सोचते है, गलिया देना आपको बहुत अच्छे से आता है और सबसे बड़ी बात आप लोकप्रिय होना चाहते है। जरुर हो जाइये पर एक बात सोच कर बताइए अगर मुस्लिम आतंकवादी है तो आप अभी तक जिन्दा कैसे है? भाई साहब ना जाने कितने मुस्लिम होंगे जो आपके आस पास रहते हो और अब तक आपको गोली से उडा चुके होते। आप जिन्दा है यही इस बात का सबूत है कि कोई कौम आतंकवादी नही होती, आतंकवादी इन्सान होता है और इंसानों की विचारधारा उन्हें आतंकवादी बनाती है। और ख़बरदार प्रशांत भाई आप भी आतंकवादी बनने के मुहीम मे लग चुके है। आप अपने विचारों का आतंक चाहते है। उससे लोगो को डरना चाहते है। आप 'अहम् सत्य जगत मिथ्या' की धुन बजा रहे है।
प्रशांत भाई अगर आप अपनी बातों को सही तरीके से और तर्क के साथ रखे तो उनमे बहुत सारी सच्चाइयाँ भी है। आपको समर्थन भी मिलेगा, पर बेबुनियाद आरोप लगना छोड़ दे तब। मै आपको व्यक्तिगत रूप से नही जानता और इस भड़ास मंच पर भी मेरी शैशवावस्था ही चल रही है पर मै सभी भड़ासियों से भी एक निवेदन करना चाहूँगा कि मुद्दे का व्यक्तिकरण ना करे। हर छलनी मे छेद होता है। सापेक्षता हर जगह है। कोई निरपेक्ष होने का दावा कर ही नही सकता। मै तो चैलेंज करता हूँ डॉ साहब के साथ हर भडासी को कि यह कह कर दिखाए कि वो निरपेक्ष है।
हाँ, सापेक्षता को ताकत बनाये, कमजोरी नही।
डॉ रुपेश जी मै आपको भी आमंत्रित करता हूँ कि मेरे पोस्ट को पढ़े और अपने विचार लिखे। मै भाई प्रशांत को भी आमंत्रित करता हूँ कि अपने विचार यहाँ खुल कर लिखे और सारे भडासी भी।
इस विषय मै एक और पोस्ट लिखूंगा तब तक के लिए विदा
सबसे पहले भाई प्रशांत मै कामना करता हूँ कि आप चिर युवा रहे और कभी ऐसा वक्त ना आए कि कोई आपको बुढउ कह सके। पर बुढा होना कोई गाली नही है और इसे गाली की तरह प्रयोग मे भी नहीं लाना चाहिए। मुझे लगता है कि आपने इस शब्द का उपयोग अपनी शारीरिक क्षमता से डॉ साहब को डराने के लिए किया है, है ना। पर आपके ही शब्दों मे मै कहू कि अगर डॉ साहब दाउद से पैसे लेते है तो आप तो आपकी सारी शारीरिक क्षमता किसी कीडे भुनगे से ज्यादा साबित नही होगी दाउद के सामने।
वैचारिक विरोध का स्वागत होना चाहिए, होता है और भड़ास है भी इसी काम के लिए, पर आपको अपने विचारो पर भी भरोसा होना चाहिए। प्रशांत भाई मुझे तो लगता है कि आपको इतना भी विश्वाश नही कि कोई आपके पोस्ट को पढेगा, तभी तो एक ही पोस्ट से सारा जगह भरने पर तुले है। ये तो वही मिसाल हुई कि खाली मैदान देख कर हर जगह हगने लगे। इतना हगने और सारी गन्दगी उलटी करने से कुछ नही होता है, हाँ यह बीमारी की निशानी जरुर है और इसके लिए आपको डॉ की जरुरत है।
भाई प्रशांत मैंने आपके बहुत सारे पोस्ट पढ़े। अच्छा लिखते है, हिंदूवादी है, राष्ट्रहित की बात सोचते है, गलिया देना आपको बहुत अच्छे से आता है और सबसे बड़ी बात आप लोकप्रिय होना चाहते है। जरुर हो जाइये पर एक बात सोच कर बताइए अगर मुस्लिम आतंकवादी है तो आप अभी तक जिन्दा कैसे है? भाई साहब ना जाने कितने मुस्लिम होंगे जो आपके आस पास रहते हो और अब तक आपको गोली से उडा चुके होते। आप जिन्दा है यही इस बात का सबूत है कि कोई कौम आतंकवादी नही होती, आतंकवादी इन्सान होता है और इंसानों की विचारधारा उन्हें आतंकवादी बनाती है। और ख़बरदार प्रशांत भाई आप भी आतंकवादी बनने के मुहीम मे लग चुके है। आप अपने विचारों का आतंक चाहते है। उससे लोगो को डरना चाहते है। आप 'अहम् सत्य जगत मिथ्या' की धुन बजा रहे है।
प्रशांत भाई अगर आप अपनी बातों को सही तरीके से और तर्क के साथ रखे तो उनमे बहुत सारी सच्चाइयाँ भी है। आपको समर्थन भी मिलेगा, पर बेबुनियाद आरोप लगना छोड़ दे तब। मै आपको व्यक्तिगत रूप से नही जानता और इस भड़ास मंच पर भी मेरी शैशवावस्था ही चल रही है पर मै सभी भड़ासियों से भी एक निवेदन करना चाहूँगा कि मुद्दे का व्यक्तिकरण ना करे। हर छलनी मे छेद होता है। सापेक्षता हर जगह है। कोई निरपेक्ष होने का दावा कर ही नही सकता। मै तो चैलेंज करता हूँ डॉ साहब के साथ हर भडासी को कि यह कह कर दिखाए कि वो निरपेक्ष है।
हाँ, सापेक्षता को ताकत बनाये, कमजोरी नही।
डॉ रुपेश जी मै आपको भी आमंत्रित करता हूँ कि मेरे पोस्ट को पढ़े और अपने विचार लिखे। मै भाई प्रशांत को भी आमंत्रित करता हूँ कि अपने विचार यहाँ खुल कर लिखे और सारे भडासी भी।
इस विषय मै एक और पोस्ट लिखूंगा तब तक के लिए विदा
7 टिप्पणियाँ:
अभिषेक भाई आपसे पूरी तरह सहमत हूं कि इस ब्रह्मांड में कुछ भी निरपेक्ष नहीं है न विचार न ही पदार्थ; उसके लिये एक ध्रुवीय होना होगा जो कि संभव ही नहीं है। पूरे कायनात में परमाणु से सय्यारों तक सब द्विध्रुवीय हैं। बस बात इतनी है कि किसका झुकाव किस तरफ़ अधिक है। छेद तो छलनी में ही होते हैं जो कि बारीक और मोटे दानों का वर्गीकरण करते हैं छेदों का होना छलनी के लिये कमी नहीं उसकी उपलब्धि है उसके अस्तित्त्व का आधार है। आशा है कि जल्द ही परिचय प्रगाढ़ हो जाएगा, मेरा मोबाइल नंबर दे रहा हूं यदि चाहें तो sms या बात कर लीजियेगा। लेखन के इसी ऊर्जा स्तर को बनाए रखियेगा यही भड़ास का ईंधन है जो हमारे रचनात्मक प्रगतिवादी विचारों की मशाल रोशन करे रहता है। आशा है आपने एलेक्सा की रेटिंग्स देख ली होंगी। पुनः आदर सहित
जय जय भड़ास
मेरा मोबाइल नं. है 09224496555 यदि संभव हो और कोई अड़चन न हो तो अपना भी मोबाइल या लैंडलाइन नंबर दे दीजियेगा ताकि यदि कभी आवश्यक तेज संपर्क चाहिये हो तो प्रयोग करा जा सके। धन्यवाद
धन्यवाद डॉ साहब आपने मेरी बात से सम्मति जताई. आपने सही कहा कि छलनी में छेदों को होना उनकी उपलब्धि है. मई भी यही कहना चाहता हूँ कि आप अपनी सोच को अपनी ताकत बनाये ना कि कमजोरी. मेरा मोबाइल नम्बर 9811731862 है. जल्द ही मै आपसे संपर्क करूँगा.
धन्यवाद डॉ साहब आपने मेरी बात से सम्मति जताई. आपने सही कहा कि छलनी में छेदों को होना उनकी उपलब्धि है. मै भी यही कहना चाहता हूँ कि आप अपनी सोच को अपनी ताकत बनाये ना कि कमजोरी. मेरा मोबाइल नम्बर 9811731862 है. जल्द ही मै आपसे संपर्क करूँगा.
अभिषेक भाई आपका स्वागत है भड़ास पर और डॉक्टर साहब ने जब आपकी तारीफ कर दी बोलने को कुछ बचा ही नहीं हमसभी ये आशा करते हैं की आप इस मंच से हमेशा जुड़े रहें और अपने विचारों से ऐसे ही रौशनी फैलाते रहें.
आपका हमवतन भाई...गुफरान...9335160542
धन्यवाद गुफरान भाई, भड़ास ने जो मशाल जलाई है उसमे हम अपनी तरफ़ से थोड़ा थोड़ा तेल डालते रहे तो रौशनी हमेशा बनी रहेगी. मेरा योगदान, जो भी बन पड़ेगा, हमेशा रहेगा.
अभिषेक भाई,
आपसे सहमत, हमें अपना मुहीम सम्मिलित रूप से चलाना है.
आपका आगाज रंग लाएगी.
जय जय भड़ास
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