पर्शांत अब बंद करो ये अपनी दिखावटी देशभक्ति
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
भाई पर्शांत यदि आप अपनी बात को विडियो बना कर यहाँ विडियो या ऑडियो ब्लोगिंग करोगे तो ज्यादा सार्थक रूप से कह पाओगे /
कोशिश करो
१) आतंकवादियो से साथ्गाथ करने वालो के ,
आतंकवादियों के समर्थकों का ,
नाम और पते आप साक्ष्य के साथ दे ,
मै आप को विश्वाश दिलाता हु की हम सभी दवारा उस पर तुंरत कानून समत कार्यवाही करवाई जायीगी
२) आप आधिकारिक रूप से हिन्दुओ की आवाज उठाने के लिए क्या कर रहे है वो भी विस्तार पूर्वक बताय,
सिर्फ़ इल्जाम ही न लगाय
३)क्या किसी को भी कोई कार्य करने से पहले आप से इजाजत लेन चाहये,
खेल मे भी आप अपनी राजनीती ले आए
४)हिंदू देश ?
- लोकतान्त्रिक देश को आप हिंदू देश कह रहे है ?
आप अद्यापक है या लल्लू ?
५)विश्व हिन्दु परिषद को अलकायदा सरीखा कोन मानता है ,
उस का कोई नाम पता है ?
एक बार एक मक्खी को कमरें में बन्द करदिया गया ,
और कहा गया कि तुम्हें १२ घंटेमें इसमें से बाहर निकलना है।
मक्खी बहुतही आशावादी व उत्साहित थी,
वह दूर से उड़तीहुई आती है
और दिवार से टकरा जाती है,
वहबार-बार ऐसा करती है हार नहीं मानती है
और अन्त में वीर गति को प्राप्त हो जाती है।
अब दूसरी मक्खी को यही कार्य दिया जाताहै,
वह पहले ६ घंटे सोचती है
फिर बगल मेंएक छेद देखती है और उससे निकल जातीहै।
केवल उत्साहित व आशावादी होने से कुछनहीं होता सफल होने के लिये आपके पासप्लान होना चाहिये।
शायद ये कही पढ़ा होगा आपने ,
याद करो ,
और अपने कार्यो मे उतारो ....................................
पोरी पोस्ट सुने यहाँ http://abcamit.blogspot.com/
धन्यवाद
3 टिप्पणियाँ:
याद दिलाने के लिये शुक्रिया कोशिस करूँगा
कमाल की बात है अमित भाई आपकी बात तो प्रशांत भाई ने विचार के योग्य भी मान ली है लेकिन अभी तक इन्होंने स्त्रियों को दी गयी गाली अपनी पोस्ट से हटायी नहीं है तो मुझे मजबूरन हटाना पड़ रहा है। यदि ये आपकी सलाह पर अमल करें तो सचमुच सफ़ल होंगे लेकिन ये न तो किसी को पढ़ते हैं न ही उसे समझने की कोशिश करते हैं यदि पढ़ा भी तो अपने ही ढंग से उसे स्वीकारते हैं जैसे कि इनकी "छिनाल" शब्द की अपनी निजी परिभाषा है....
जय जय भड़ास
अमित भाई ये प्रशांत जी एक टोटकेबाज आदमी ही निकले जो महज अपने ब्लाग की प्रसिद्धि के लिये इतना ढोंगधतूरा फैलाए रखे थे। एकदम कायर और डरपोक आदमी है जो खुल कर अपना पता देने में भी डरता है कि किस बिल से चूं चूं कर रहे हैं। अरे भाई! अगर साहस है तो जरा जस्टिस आनंद सिंह की तरह सामने आओ न.... ये क्या कि वैचारिक षंढ की तरह से लगे हैं अपना राग अलापने बिना किसी की बात का उत्तर दिये, चंदन भाई ने जो लिखा या अजय भाई ने जो लिखा वो इन्हें समझ में तो आता है लेकिन इनके पास तो प्रसिद्धि हासिल करने के लिये कोई मौलिकता तो है नहीं इसलिये जानबूझ कर अंधे होने का पाखंड रचा कर कभी मुस्लिमों को और कभी डा.रूपेश को गाली देते हैं।
जय जय भड़ास
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