जिसमें ये आग है ही नहीं वो डॉ. रूपेश श्रीवास्तव कैसे हो सकता है?
शुक्रवार, 27 मार्च 2009
अरे चूतिया हिंदी के मुखौटाधारियों क्यों ब्लागिंग में हग रहे हो बस इतनी सी बात है तो बताये दे रहा हूं कि मैं अजय मोहन शर्मा नही हूं बल्कि डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ही हूं क्योंकि ये तो वो शख्सियत है जो कमोबेश हर भड़ासी के भीतर आग सुलगाए रहती है सही कि सही और गलत को गलत कहने की.......। जिसमें ये आग है ही नहीं वो डॉ. रूपेश श्रीवास्तव कैसे हो सकता है?
जय जय भड़ास
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