आज मैं छाती ठोंक कर कहता हूं कि मैं ही हूं डॉ. रूपेश श्रीवास्तव
शुक्रवार, 27 मार्च 2009
मैं एक लम्बे समय तक अपराधी जीवन में रहा और खूब दुनिया देखी, जो लोग डॉ. रूपेश श्रीवास्तव को बदनाम कर रहे हैं उन जैसे ही लोग समाज में सफ़ेदपोश बन कर छिपे रहते हैं और अपराध हम जैसे नासमझों से कराते हैं। आज मैं छाती ठोंक कर कहता हूं कि मैं ही हूं डॉ. रूपेश श्रीवास्तव, जिससे जो बुरा करते बने कर ले। महाराष्ट्र ही नहीं आसपास के कई राज्यों की पुलिस को एक जमाने में छकाता रहा हूं लेकिन अब सारे अपराधों की सजा काट कर सामान्य जीवन जी रहा हूं ये याद रखना कि हाथी कितना भी बूढ़ा हो जाए सियार और लोमड़ी से बड़ा ही रहता है इस डॉ. रूपेश श्रीवास्तव का उत्तर तुम्हें तुम्हारे घर पर मिल सकता है चाहो तो आजमा लो.....। मैं ही हूं डॉ. रूपेश श्रीवास्तव
जय जय भड़ास
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें