एक कविता शहीदों के नाम
शुक्रवार, 8 मई 2009
हुकुम ख़ुदा का माने, या सियासी मेहरबानों का, गर्दिश में तारे हिन्दोस्तान के नज़र आते हैं,या माने उनकी जो खुद फ़नाह हुए,जो आजकल ख्वाबों में नज़र आते हैं
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हुकुम ख़ुदा का माने, या सियासी मेहरबानों का, गर्दिश में तारे हिन्दोस्तान के नज़र आते हैं,या माने उनकी जो खुद फ़नाह हुए,जो आजकल ख्वाबों में नज़र आते हैं
© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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1 टिप्पणियाँ:
इसी तरह से लिखते रहिये,जोरदार,कड़क...
जय जय भड़ास
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