फिर चमकेगा सूर्य स्वछन्द नीले गगन मे
शुक्रवार, 8 मई 2009
समय की धरा पर हूँ मैं यूं चल रहा,
जिस तरह पंछी उड़ रहे गगन में,
विचारों का समूह है यूं उमड़ रहा,
जिस तरह बादल गरज रहे आसमान मे |
आते हैं विचार अक्सर उन्मुक्त स्वप्न में,
खो जाते हैं बरबस हम अपनी लगन में,
ले आयेंगे नव भोर हम रात्री प्रहार मे,
फिर चमकेगा सूर्य स्वछन्द नीले गगन मे ||
1 टिप्पणियाँ:
जरूर चमकेगा सूर्य लेकिन जब आसमान में कालिमा छा गई है तो उसे दूर करने का जतन भी हमें ही करना होगा,लिखते रहिए
जय जय भड़ास
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