Loksangharsha: यहि देस कै भैया का होई

गुरुवार, 14 मई 2009

आओ हम सब मिलिकै रोई यहि देस कै भैया का होई॥

खादी खाकी मौसेरे भाई,काटे मनइन कै गटई
आपन-आपन धरम छोडि ,उई करत है दुनो चोरकटई

यहि देस कै भैया का होई आओ हम....

तुम
देखो जाई कचेहरी मा,सब रोवा-रोवा नोच लेई।
अर्दली ,वकील और पेशकार ,मिली खून चूस जस जोंक लेई
यहि देस कै भइया का होई आओ हम....

राम अंधेरे जन-प्रिय नेता ,काटि चुके दस साल जेल है।
और लड़े इलेक्शन जेलै से,मुल अब तो उई मंत्री जेल है
यहि देस कै भइया का होईआओ हम....

बासी रोटी टूका-टूका ,घिसुआ कै लरिके बाँटी रहे
जनता के सेवक नेताजी ,मुर्गा बिरयानी काटि रहे
यहि देस कै भइया का होईआओ हम....

नेता जी के घर भरी पड़ी , काजू बादामन की बोरी
मुल मूंगफली का तरस रहे,मजदूरन कै छोरा -छोरी
यहि देस कै भइया का होई आओ हम....

मोहम्मद जमील शास्त्री
प्रवक्ता (हिन्दी)

2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

शास्त्री जी बेहतरीन अंदाज है,लोकभाषा ही स्थानीय संदेश संचार के लिये सही माध्यम है। साधुवाद स्वीकारिये
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

देसजता का सुन्दर प्रस्तुतीकरण,

आभार और साधुवाद.
जय जय भड़ास

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