अरबों खरबों रुपयों की ऊर्जा रोज सूर्यदेव हमें मुफ़्त ही दे देते हैं

गुरुवार, 4 जून 2009

आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। आज बौद्धिक वर्ग के लोग प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग नहीं करेंगे, सौर ऊर्जा के प्रयोग के ऊपर लंबे-लंबे भाषण पेले जाएंगे और फिर शाम होते-होते पर्यावरण दिवस समाप्त हो जाएगा। पूरे एक साल बाद फिर दोबारा यही बकवास नए सिरे से करी जाएगी। वैकल्पिक ऊर्जा के विषय में शोध के नाम पर एक बड़ा शून्य है जिसमें कि यदि कोई उत्साही व्यक्ति कुछ कर भी दे तो उसे और उसके अविष्कार को फ़ाइलों में ऐसा उलझाया जाता है कि उम्र गुजर जाती है। अरबों खरबों रुपयों की ऊर्जा रोज सूर्यदेव हमें मुफ़्त ही दे देते हैं और हम सिर्फ़ एक दिन पटर-पटर करके फिर मुर्गे की तीन टांग करने लगते हैं। ईश्वर सद्बुद्धि दे।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

Ganesh Prasad ने कहा…

सही फ़रमाया आपने, सौर ऊर्जा का सही इस्तेमाल हमें करना चाहिए...
पर यार....

दीनबन्धु ने कहा…

हर अच्छी बात के लिये साल में बस एक दिन मुकर्रर करा जाता है फिर उसे साल भर के लिये भुला दिया जाता है ये नीति हम सबने स्वीकार कर ली है, मोबाइल जैसी चीज को सौर ऊर्जा से चार्ज कर सकते हैं ये बात मैं जमाने से सुन रहा हूं लेकिन बाजार में तकनीक शायद मेरे नाती-पोतों के नाती-पोते देख सकें।
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

जिस से सरकारी कमी न हो वो बेकार है और ऐसा ही व्यवस्था हमारे हुक्मरानों ने बना रखी है अन्यता ई टी जी को कब का न अपना लिया गया होता, ऊर्जा की मारामारी और पुरे देश में भले ही किल्लत हो मगर सौर का उपयोग नहीं करेंगे, भाई इसमें कमीशन नहीं बनने वाला जो है.
जय जय भड़ास

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