अजमल कसाब के वकील का सामाजिक बहिष्कार उसे सद् बुद्धि देगा
रविवार, 14 जून 2009
एक समय था हमारे देश में जब न्याय प्रक्रिया सामाजिक विषय हुआ करती थी और न्याय प्रक्रिया सबके सामने हुआ करती थी। इसमें दोनो पक्षों पर समाज का एक स्पष्ट नैतिक मूल्यों का दबाव हुआ करता था। संसद के सदनों तक की कार्यवाही का दूरदर्शन पर सीधा प्रसारण करा जाता है। क्यों नहीं अदालतों की प्रक्रिया का सीधा प्रसारण होता? कसाब के वकील अब्बास काज़मी ने अदालत में क्या करा है और इस बात से उसके समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता तो बात शोचनीय है। यदि उसका समाज अब्बास काज़मी का सामाजिक बहिष्कार कर दे तो कौन सा अदालती आदेश इसे रोक पाएगा। अब्बास काज़मी को राज्य सरकार सैकड़ों मासूमों के हत्यारे कसाब का केस लड़ने के लिये प्रतिमाह पचास हजार रुपए देगी। ये आदमी गाता फिरता है कि मैं तो अदालत के आदेश का पालन करके अपनी ड्यूटी कर रहा हूं। यदि ये अपनी नैतिकता के आधार पर इंकार कर देता तो क्या इसे अदालत फांसी दे देती या नंगा करके बीच सड़क पर कोड़े लगवाती? इसकी कोई नैतिकता है ही नहीं वरना ये कब का इस केस को इंकार कर चुका होता। अब जब कि विशेष जज श्री एम.एल.टहलियानी जी ने इन विलंबशिरोमणि महाशय से कहा कि आप चाहें तो इस केस से बाहर हो सकते हैं क्योंकि इन्हें अधिकाधिक समय चाहिए होता है हर काम के लिये ये जज साहब ने तब कहा जब इन्होंने बोला कि गवाह को क्रास-एग्जामिन करने के लिये इन्हें सवाल तैयार करने के लिये वक़्त दिया जाए। मेरा एक ही बिल्कुल साफ़ नजरिया है कि अब्बास काज़मी जैसे लोगों का समाज में हुक्का-पानी बंद कर सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाए ताकि एक आम आदमी की नजर में कानून मजाक बन कर न रह जाए।
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
बिलकुल सही कहा आपने इस प्राणी का यही उपचार है
जय जय भड़ास
आप से पूर्ण रूप से सहमत हु , क्या इस परकार की हिमायत कोई पाकिस्तानी वकील कभी पाकिस्तान मे कर सकता है , अगर वकील साहब को रोटी नहीं मिल रही है तो हम अपने हिस्से के टुकड़े देने को तैयार है ,, पर इन की भूक मिटानी होगी
बेहद आश्चर्य की बात है कि इसको जिमखाना से हकालपट्टी करने के बाद भी ये आंखे तरेर रहा था और इसके समाज(अगर ये सामाजिक है)वालों ने इसका हुक्का-पानी क्यों नहीं बंद करा? वैसे तो इस देश में जरा-जरा सी बात पर महापंचायत लगा कर लोग दुनिया भर का नाटक करते हैं? क्यों इसकी जमात के लोग इसका सोशल बायकाट कर देते? कहीं ऐसा तो नहीं कि अब्बास काज़मी जिस समाज का है उस समाज के सारे लोग इसी सोच से सहमत हों कि कसाब की हिमायत करी जाए........!!!!!
जय जय भड़ास
आपा आपने दिल कि बात कह दी मगर क्या ये हमरे देश का नपुंशक कानून ऐसा होने देगा.
जय जय भड़ास
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