अनूप

मंगलवार, 28 जुलाई 2009

3 टिप्पणियाँ:

अनोप मंडल ने कहा…

अरे राक्षस हम बच्चे नहीं तुम राक्षसों का काल हैं। दुष्ट तूने अब तक अपने राक्षस भाई महावीर सेमलानी को सामने आने को नहीं लिखा और न ही लिखेगा क्योंकि वो और तू ,दोनो ही अव्वल दर्जे के मायावी हो लेकिन अब तुम भड़ासियों के जाल में आ गए हो तो तड़प कर मरोगे। महावीर सेमलानी तो भोला बन कर गायब हो जाता है और तू प्रपंच फैला कर सोचता है कि भड़ासियों को तू अपने इंद्रजाल में फंसा लेगा तो ये तेरी गलतफ़हमी है। तू राक्षस हमें रामायण सिखा रहा था। अरे दुरात्मा जिन! ये ध्यान रख कि अब अनूप मंडल भड़ास के मंच पर है तुझे लगता है कि अब तेरी ये राक्षसी चालें चल सकेंगी तो तू महामूर्ख है। तुम दुष्टों का शीघ्र ही अंत होने वाला है।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

अजय मोहन ने कहा…

अमित भाई यार आप भी कम नहीं हो जान बूझ कर इन्हें उंगली करते रहते हो।

dr amit jain ने कहा…

अजय मोहन भाई कभी कभी कभी मेरे मन मे हमारे पूर्वजो (बंदरो ) का ध्यान आ जाता है और ..................:)

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