गुरुवार, 2 जुलाई 2009
कभी तो मेरे इश्क का पैगाम मुझ को लौटादो
मेरे इज़हार के बदले अपना इकरार लौटादो
कभी देखो तुम मुझे मुहब्बत पाश नजरो से
कभी लफ्जों मे तुम अपना एहसास बतलादो
मै प्यासा हु बहुत तेरी चाहत की खातिर
कभी तो अपनी प्यास का मुझे हाल बतला दो
तेरे सीने मे छुपी मेरी मुहब्बत मुझ को दिखलादो
कभी तो मेरे इश्क का पैगाम मुझ को लौटा दो
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