सुरेश चिपलूणकर हर तीन रंग के झंडे को भारत का राष्ट्र ध्वज मानता है?

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

ये है पाकिस्तान का राष्ट्रध्वज जिसमें आप सब देख सकते हैं कि एक सफ़ेद खड़ी पट्टी रहती है फिर हरे रंग पर चांद-तारे का चिन्ह है लेकिन इन उन्माद में पगलाए लोगों को सारे हरे झंडे पाकिस्तान के दिखते हैं

आंखे फाड़ कर देखा जा सकता है कि ये पाकिस्तान के झंडे नहीं है

हिंदी ब्लागिंग को लोग आतंकवाद से लेकर अश्लीलता फैलाने तक के लिये प्रयोग करने लगे हैं। दूसरे सम्प्रदायों के प्रति नफ़रत फैला कर देश में लोकतंत्र की जड़ों दीमक की तरह फैले लोग भी हिंदी ब्लागिंग में मौजूद हैं। कल से सोच रहा था कि मैं किस तरह से इस विष को पचा जाऊं कि बिना भड़ास के जी सकूं लेकिन रह सका। सुरेश चिपलूणकर नाम का आदमी जो कि हिंदी ब्लागिंग में इतना जाना माना और पहचाना जाता है वह इतना बड़ा दुष्ट और साम्प्रदायिक सोच का आदमी है सोचा भी था। इस बंदे की एक पोस्ट में इसने मिरज़ नाम की जगह पर हुए सामुदायिक फ़साद पर लिखा है जिसमें कि ये लिख रहा है कि कुछ मुसलमान पाकिस्तान का झंडा लेकर लहरा रहे हैं, इस ढक्कन को इतनी भी अक्ल नहीं है कि हर हरा झंडा या चांद-तारे के चिन्ह का ध्वज पाकिस्तान का राष्ट्रध्वज नहीं है। पाकिस्तान के राष्ट्रध्वज में पहले सफ़ेद पट्टी है फिर हरे रंग के झंडे पर चांद तारे का निशान है। क्या ये आदमी हर तीन रंग के झंडे को भारत का राष्ट्र ध्वज मानता है? हरगिज नहीं। लेकिन इसको हर हरा चांद तारे वाला झंडा पाकिस्तान का झंडा दिखेगा और हर मुसलमान आतंकवादी। इसकी इस पोस्ट का क्या संदेश है? सत्य तो ये है कि इस तरह के लोग ही समाज में समुदायों को नजदीक आने ही नहीं देते और दरारों को खाई का रूप देते रहते हैं ताकि दूरियां कभी मिट सकें। मैं इस उन्मादी की जानकारी के लिये दोनो चित्र प्रकाशित कर रहा हूं। आप सब विचार करिये

जय जय भड़ास

31 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

Jhanda bhaley hi koi ho, par jhande ko pakde hue log kar to galat kaam hi rahe hain, unke bare mein kuch nahi kaha apney. Unka vish kaise pachaya?

ab inconvenienti ने कहा…

गणेश प्रतिमाओं पर पत्थर बरसाने पर आपकी क्या राय है? विसर्जन यात्रा का रास्ता क्यों एंगल अड़ा कर संकरा किया गया? शिवाजी की झांकी पर तोड़फोड़ क्यों?

Unknown ने कहा…

आपसे पूछना चाहता हूँ कि क्या चिपलूनकर जी के पूरे पोस्ट को पढ़ने के बाद सिर्फ झण्डा ही समझ में आया, और कुछ नहीं?

Unknown ने कहा…

लीजिये रूपेश भाई, सबसे पहले मैं ही आ गया टिप्पणी देने। शायद आपने या तो वह पोस्ट पूरी तरह ठीक से पढ़ी ही नहीं, या फ़िर शायद आप झण्डे पर ही अटक गये होंगे… आपने भीड़ की "नीयत" और उनके "व्यवहार" पर ध्यान नहीं दिया और मुझे दोषी ठहरा दिया।
जो चित्र आपने लगाया है, वही मैंने भी लगाया है, जरा विडियो भी ध्यान से देख लेते, "चांद-तारे" वाले झण्डे में एक सफ़ेद पट्टी के अलावा क्या बाकी रह गया है, पाकिस्तानी झण्डा बनने में? और झण्डा लहराने वाले की "नीयत" के बारे में क्या कहेंगे?
वैसे तो मैं इसका जवाब देना नहीं चाहता था, लेकिन मेरे नाम का उल्लेख किया गया है इसलिये इस "दुष्ट", "साम्प्रदायिक सोच वाले", "ढक्कन" को दो बातें कहनी पड़ीं… दुःख इस बात का है कि जिस "मानसिकता" का जिक्र मैंने अपनी पोस्ट में किया है, उस पर एक शब्द भी आपने नहीं लिखा, बस झण्डे पर जाकर बैठ गये। तो अब झण्डे से नीचे उतरिये और पोस्ट का असली मतलब समझिये…
मुझे नहीं पता था कि भड़ास भी "सेकुलर" बनने की राह पर अग्रसर है… पिछले 2 माह में यह 5वीं पोस्ट है जिसमें टाईटल में मेरा नाम दिया गया है और आलोचना की गई है, मेरे लिये यह खुशी की बात है। मैं किसी की बातों का बुरा नहीं मानता, वैसे भी हमारी संस्कृति में सौ गलतियाँ माफ़ करने का रिवाज है… इसलिये "नासमझी" में की गई इस झटुल्ली सी पोस्ट के लिये मैं आपको माफ़ करता हूँ, और पुनः अर्ज़ करता हूँ कि "बाल की खाल निकालने" से पहले पोस्ट को सही समझ लिया कीजिये, खामखा किसी नकली सेकुलर की बातों में आकर मुझ पर हमला काहे करते हैं?
(इस "ढक्कन" और "उन्मादी" की ये टिप्पणी मोडरेट मत कर देना भाई)

Unknown ने कहा…

भड़ास पर टिप्पणी मोदरेशन? कमाल है?

गरुणध्वज ने कहा…

रुपेश भाई

क्या तुमने सुरेश जी का पूरा लेख नहीं पढ़ा ......
अगर कोई बिरादरी (अरे वही तुम्हारी नजरो में स्वछता के पुतले) तुम्हारे देवी देवताओ की मूर्तियों का अपमान करे तो इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाओगे .......... या तुम भी वही सेकुलरों में से हो जो वोट बैंक के लिए सभी कुछ देखते हुए भी चुप रहते हैं ?

और रही बात पाकिस्तान के झंडे की तो ध्यान से देखने पर उसी हरे झंडे पर बीच में बना चाँद और तारा आराम से दिख जाता ......पर आँखों वाले अन्धो को शायद न दिखे .........

तुम्हारी मानसिकता का पता तो इस बात से ही लग जाता है की पाकिस्तान के झंडे वाली बात तो तुमने उठा दी परन्तु बाकी लेख के मुद्दे पर किसी बारे में कोई लेख या कमेन्ट नहीं दिया .........

आगे पाठक खुद समझदार हैं ...............

गरुणध्वज ने कहा…

रुपेश भाई

क्या तुमने सुरेश जी का पूरा लेख नहीं पढ़ा ......
अगर कोई बिरादरी (अरे वही तुम्हारी नजरो में स्वछता के पुतले) तुम्हारे देवी देवताओ की मूर्तियों का अपमान करे तो इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाओगे .......... या तुम भी वही सेकुलरों में से हो जो वोट बैंक के लिए सभी कुछ देखते हुए भी चुप रहते हैं ?

और रही बात पाकिस्तान के झंडे की तो ध्यान से देखने पर उसी हरे झंडे पर बीच में बना चाँद और तारा आराम से दिख जाता ......पर आँखों वाले अन्धो को शायद न दिखे .........

तुम्हारी मानसिकता का पता तो इस बात से ही लग जाता है की पाकिस्तान के झंडे वाली बात तो तुमने उठा दी परन्तु बाकी लेख के मुद्दे पर किसी बारे में कोई लेख या कमेन्ट नहीं दिया .........

आगे पाठक खुद समझदार हैं ...............

Saleem Khan ने कहा…

चिपलूनकर बाबू का बस चले तो हर मुसलमान को आतंकवादी बना देवें आपने सही कहा..

ये हमेशा हर पोस्ट में मुसलमानों को बुरा भला कहते हैं....

मैं कब से इनसे कह रहा हूँ अपने आपको पहचानों.. अपनी किताब वेद को पढो... मगर क्या करें ये मानते ही नहीं जनाब ...

खुर्शीद अहमद ने कहा…

सम्मानीय सुमन जी और आदरणीय श्रीवास्तव जी आप दोनों को मेरी तरफ से प्यार भरा आदाब. चिपलूनकर जी की बातों से मैं भी कतई सहमत नहीं हूँ. ऐसे लोग ही समाज में नफरत फैलाते हैं और हिंसा का राजनितिक फ़ायदा उठाते हैं. चिपलूनकर ने मिराज दंगे में एक चीज़ पर बड़ी सुन्दरता से पर्दा डाल दिया कि गणेश मंडल में कुछ लोग नशे में धुत होकर सामने से गुज़र रही कुछ मुस्लिम लड़कियों के साथ अभद्रता कि और उनको मंडप में खीचने की कोशिश की थी. परन्तु चिपलूनकर ने नफरत फैलाने वाली पोस्ट लिखी और अलग से झंडा वाला विडियो डाल दिया. मुझे तो ताज्जुब होता है कि कैसे अंग्रेजों के दलाल देशभक्ति का सर्टिफिकेट बाँट रहे हैं और सारा देश चुप है.

बेनामी ने कहा…

Pakistan ka Jhanda poorey lekh mein ek ya do baar hi aaya hai, iskey alawaa bhi bahut kuch likha hai. us sabkey barey mein aapkey kya vichar hain. Kya aap unsey sehmat hain ya asahmat.

दीनबन्धु ने कहा…

भाई बेनामी/अनामी/गुमनामी आप शायद अभी भी लोकतंत्र को समझ ही न पाए वरना डा.साहब से ये सवाल न करते। कौन कहता है कि भगवान शिव ने जहर को पचा लिया था वो तो नीलकंठ कहलाए। लेकिन जहर से दूसरों को मरने से बचा लिया। अब जब हम उस युग में नहीं है कि आक्रांता आ कर भारतभूमि को पददलित करें और मंदिरों को लूट कर चले जाएं साथ ही आपकी बहन-बेटियों को अपनी बांदी बना लें। इस स्थिति तक आने के लिये जो लोग हरा झंडा लेकर लहरा रहे हैं उनके भी अनगिनत देशप्रेमी पूर्वजों ने देश के लिये जान दी हैं।ये परिस्थितियां मात्र लोकतंत्र की स्थापना के बाद ही संभव हो पायी है जिसे भड़ास पर बचाने का प्राणप्रण से संकल्प है भाई का। आप सामने आकर विमर्श में हिस्सा लीजिये यदि मन में कोई क्लेश है या लगता है कि डा.रूपेश गलत हैं अथवा किसी खास तबके का समर्थन करते हैं।
जय जय भड़ास

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

रुपेश जी, मुझे आश्चर्य इस बात का हुआ की आपने सुरेश जी के पोस्ट को ठीक से पढा नहीं और उसको गलत साबित करने के लिए एक पोस्ट भी कर दिया ???

ध्यान से पढिये देखिये सुरेश जी ने क्या लिखा है : - पुलिस की गाडी पर हरा झंडा फहराया गया और एक युवक ने नजदीक के खम्भे पर पाकिस्तान का झंडा लगा दिया ..... नहीं समझ मैं आई तो फिर से पढ़ लीजिये |

भडास की टीम दीनबन्धु जी की टिपण्णी से भी मैं हैरान हूँ की वो भी रुपेश जी की तरह ही मुख्य बात को पचा गए और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाली सेकुलर भाषा बोलने लगे |

टिप्पणी moderation वो भी भडास पे .... वाह भाई वाह ... मतलब जो कोई इनके सेकुलर सुर मैं सुर नहीं मिलायेंगे उनकी टिपण्णी भी सेंसर बोर्ड के मेल मैं गम हो जायेगी |

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

खुर्शीद जी ऐसा तो किसी के संज्ञान मैं आया ही नहीं है की मुस्लिम महिला के साथ छेड़खानी हुई | ये बात आपको कैसे पता चाल ? दूसरी बात ये है की यदि ऐसा कुछ हुआ भी तो महिला या उनके परिवार वालों ने पुलिस मैं रपट लिखाई क्या ? मतलब मुस्लिम समाज कसी चीज का फैसला खुद करेगी ... जैसे की किसी महिला की तरफ किसी ने खुरा नहीं की पूरा मुस्लिम समाज रोड पे आ कर दंगा करेगा ... गणपति की पूर्ति तोडेगा .. क्यों .... बहुत सही सोच है खुर्शीद भाई आपका ....

Unknown ने कहा…

स्वच्छ ने कहा है कि "मैं हर पोस्ट में मुसलमानों को बुरा-भला कहता हूँ…" मैं "स्वच्छ"(?) को खुला चैलेंज देता हूं कि मेरी 4-6 पोस्ट दिखायें जिसमें मैंने "मुसलमानों" (I repeat मुसलमानों) को बुरा-भला कहा हो। हाँ यदि कांग्रेसियों और सेकुलरों को ये "मुसलमान" मानते हों, तो बात और हैं, इन दोनों की आलोचना तो मैं सतत करता रहूंगा…।

रूपेश जी की टिप्पणी का भी इन्तज़ार कर रहा हूं कि वे इस अफ़ज़ल रूपी अलगाववादी मानसिकता पर कुछ कहेंगे…
@ खुर्शीद - आपने मुस्लिम महिलाओं से छेड़छाड़ के जो आरोप लगाये हैं उसका सबूत दीजिये, अखबार की कटिंग आदि…

बेनामी ने कहा…

फूटे! लेख को ढंग से पढ़ तो लिया होता. यु ट्यूब पर गणेश जी की मूर्ति ये 'जालीदार टोपी' वाले तोड़ रहे है तुझे दिखाई नहीं दे रहे है? दुनिया भर में 'अल्ला' के नाम पर जो कत्ले आम हो रहा है, वो भी नहीं दिखाई देगा तुझे तो? कहीं सुरेश जी को गरियाने का मकसद ये तो नहीं की पोस्ट हिट हो जाये.? जैसा मिरज में हो रहा है, उसे हिजडों की तरह देखते रहो, तो क्या इससे साम्प्रदायिक सद्भाव बढेगा? बता तू ही बता की गणेश जी की मूर्ति तोड़ कर पुलिस की गाड़ी पर हरा झंडा क्यों लहरा रहे थे? या तू ज्यादा पढ़ लिख गया है?

बेनामी ने कहा…

Main loktantra ka matlab aapse jyada achii tarah samajhta hoon. Iska matlab bheed tantra nahin hai. Yadi sab log milkar galat kaam karney lagey to lok tantra mein use sahi nahin tehraya jata. uska matlab hota hai ek hi kanoon ka bina bhedbhav ke shasan. Dr. sahab loktantra ki galti mein bheed tantra ko bacha rahey hain. Aur jo log galat kaam kar rahe hain, unko maun swikrati de rahey hain.
Post mein 'Jhanda, Pakistan, aur hare rang ke alawa bahut kuch hai' Dr. sahab ko vo dikha nahin ya apney loktantra ko bachaney ke liye andekha kar diya.

Gyan Darpan ने कहा…

जय हो सेकुलर वादियों की !

बेनामी ने कहा…

भड़ास पर फिर से भड़ास भड़ास जारी है, धर्म को उन्माद का रूप देने वाले एक बार फिर से धार्मिक स्वरुप के साथ वैमनष्यता को लेकर हाजिर हैं. पुरे लेख को देखने पढने के बाद, फोटो और यू ट्यूब का भ्रमण करने के बाद निष्कर्ष सिर्फ इतना जो सालों पहले फिरंगियों ने किया था. बाँटो बाँटो और बस बाँटो.
हिन्दुस्तान की आजादी, अस्मिता सम्पन्नता और समृद्धि के लिए इस देश में सभी ने बराबर का योगदान दिया. क्या हिन्दू क्या मुसलमान क्या सिख ईसाई सभी धर्म के लोगों ने मिल कर आजादी का रास्ता बनाया और मंजिल तक पहुंचे मगर इस संग्राम में क्या आधी चड्ढी वाले भी थे ? आधी चड्ढी वाले हिन्दू मुस्लिम के वैमनष्यता में अंग्रेजों के बराबर के शरीक रहे और आज ये हिन्दुओं के ठेकेदार भी बन गए हैं.
रही बात सम्मान की तो लेखक के लेख से स्पष्ट पता चलता है कि ये राग द्वेष और विषद से भरा आलेख लिख ब्लॉग जगत को दूषित और कलुषित कर रहे हैं. इन्हें अफजल याद है कसाब याद है मगर साध्वी इनके लिए देशभक्त है ये भगवाधारियोंकी दोहरी मानसिकता है.
@अवधिया जी पुरे लेख को पढने के बाद ही पोस्ट डाली गयी है और आप फिर से पढें, झंडा यानि की अस्मिता और सिर्फ झंडा कह कर आपने एक मुद्दा और दिया. तिरंगा सिर्फ आपके लिए एक झंडा या मुद्दा हो सकता है मगर देश के तिरंगे और कोंग्रेस के तिरंगे में फर्क तो होगा.
@चिपलूनकर जी झटुल्ली सी पोस्ट ही सही मगर आपके विचारों की लडाई में इस झटुल्ली सी पोस्ट ने आपके और आपके जैसे तमाम भगवाधारियों की हकीकत बयाँ कर दी है जिन्हें देश से कोई सरोकार नहीं अपनी आधी चड्ढी के साथ इस देश में जातीय वैमनस्यता और बैरभाव को बढा कर अपनी महत्वाकांक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं. रही बात समझने की तो आप भी एक बार इस पोस्ट को फिर से पढिये और समजिये जिसमें आप एक विषय के पात्र मात्र हैं मगर आपके स्वरुप में देश में धार्मिक उन्मादी और आतंकी की बहुतायत है.
@गरुणध्वज जी आप भी इस लेख को पूरा पढने से चूक गए लगते हैं जो सिर्फ देश भावना की बात कह रहा है, जाति पाति से ऊपर तिरंगे के होकर देखो मित्र.
@राकेश जी आप भी बाकी की तरह ही टिपिया गए, इस लेख का एक मतलब अपने हिसाब से लगा गए, मित्र देश की एकता और अस्मिता जिसे आप पहचानने से ही इनकार कर दें कहीं चुनाव प्रचार में कांग्रेस के झंडे को आप तिरंगा तो नहीं समझते हैं, वैसे एक समाज पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में जरूर झांकें, हिन्दू होते हुए भी निम्न जाति को आपके समुदाय में ही भगवान् के दरबार में जाने से माना कर दिया जाता है और जब ये ईसाइयत स्वीकार करते हैं तो हिन्दू के ठेकेदार चिल्ल पों मचाते हैं.

रही बात मोडरेशन की तो भड़ास आपतिजनक टिप्पणी को प्रकाशित करने से परहेज करता है जिस में स्वयम्भू बुद्धिजीवी लोगों की माँ बहन को अपनी माँ बहन ना समझें और निश्चिंत रहें सारे कमेन्ट सुरक्षित हैं और कभी भी पोस्ट के रूप में सामने आ सकते हैं.

जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

अनाम बेनाम गुमनाम मित्रों,
अमूमन बेनामियों को भड़ास कभी तवज्जो नहीं देता और देगा भी नहीं, आप अपने मुद्दों को सामें आकर रखें बहस में हिस्सा लें, बाकी इन बेनामियों के लिए उपयुक्त शब्द हिंदूवादी लोग अच्छे से बता देंगे.
तमाम अनामी (शायद बिना माँ बाप के या माँ बाप ने नाम ना रखा) की भाषा और कलुषित विचार तिरंगे के लिए घातक है.

अग्नि बाण ने कहा…

सुरेश चिपलूनकर ही नहीं उसके जैसे कई झांट झटुल्ली वालों को लगता है की भगवा पहन कर वो इस देश के ठेकेदार हो गए, आतंकियों से बड़ा आतंकी इस भगवाधारी और आधे पैंट वालों से देश को ज्यादा खतरा है,
बस हरा दिखना चाहिए और अपना राग शुरू,
अरे निरा मूर्खों जिस तरह भगवा हिंदों में पवित्र रंग होता है हरा उसी तरह मुसलमानों में मगर जब इस देश की अस्मिता के लिए दोनों के साथ शांती का स्वरुप सफ़ेद के साथ अस्मिता बनता है. मगर ये इस झ टुल्ली चिपलूनकर के समझ में नहीं आएगा क्यूँकी ना ही ये हिन्दू है और ना ही इसे हिन्दू धर्म का कुछ पता.
जय जय भड़ास

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

रजनीश जी मैं तथ्यों पर बात करना चाहता हूँ | थाथ्य पे आईये - आप भी मेरा कमेन्ट ही सही फिर से पढ़ लीजिये " ध्यान से पढिये देखिये सुरेश जी ने क्या लिखा है : - पुलिस की गाडी पर हरा झंडा फहराया गया और एक युवक ने नजदीक के खम्भे पर पाकिस्तान का झंडा लगा दिया ..... | ". सुरेश जी ने कहाँ लिखा है की पुलिश के वाहान पे पाकिस्तानी झंडा फहराया गया ? आपने समय ले कर इतनी बड़ी टिपण्णी की .. तो अब ये भी बताईये ना ?

जाती, धर्म आदि आदि की कमियाँ सब पर तो विस्तार से चर्चा होती ही है ... जहाँ इससे सम्बंधित बात होती है ... | फिलहाल तथ्य पे गौर करें |

Unknown ने कहा…

aise muddo oer mai chup rhna pasand karti hu....lekin kuch logo ne likha lok tantr ke matlab bheed tantr nahi....to bhai plz is per bh comment kare aur unhi shabdo ka istemal kare jo aapne is incedent per kiye thebabri masjid, graham stains, on every 14 feb velentin day and yes on gujrat riot...sorry to say hath me tiranga le lene se har aadmi desh bhakht nahi ho jata....aur kuch logo ke galti ki wajhe se koi dharm atankwad ki jad nahi ho jata....kuki gandhi ko marne wala hindu tha....indra ko marne wala sikh tha...aur rajeev ko marne wala bhi hindu tha...agar aise dekhe to deh ka naam sare duniya me badmaam karne wale hindu ya sikh the....per mai kisi ko dosh nahi deti....kuki ye gunah sirf us insaan ka gunha tha...janab zahar mat failaye....badal sakte hai to halat badal do insaan khud badal jayenge...

फ़रहीन नाज़ ने कहा…

@Rakesh singh
You are asking to Rajneesh about facts but could you really see Pakistani national flag?Suresh has nothing but a mind make-up that all the muslims are not good for Hindustan.
Now you open your eyes as you can read that suresh is commenting to Dr.Rupesh to come down from flag,he is saying the MENTALITY behind the green flag.

Rakesh Singh - राकेश सिंह ने कहा…

@फ़रहीन नाज़ - I see the mentality very clearly. The mob who broke the Lord Ganesha Idol is geeting supported by Bhadaas. I do not see the bhadaas people condemning the incident and ask to punish the guilty. Instead they just supporting the flags was raised on police van ...

Still you can consider me blind and yourself with good eye. Anyway for seculars (especially in India) all the persons who demand to hang Afjal is communal. .....

S C Mudgal ने कहा…

Dear Rajneesh jha Ji,
Ye Aap kya karne lage ki hindu dharm ki khamiyan dikhane lage. Kya Aap hindu nahin hain. Kya ye hindu naam aapne dkhokha dene ke liye rakh liya. Kisi bhi dharm mein kuchh na kuchh khamiyaan hongi hee. Dharma ki baat chhodiye, pratyek vyakti , group, class, caste, creed, country, political party mein kuchh na kuchh khamiyaan hona swabhawik hai. Chalein Dharm ki baat hee kar lete hain. Jara batao kis dharm ne apnaa vistaar gyan baant kar kiya, kis ne apna vistaar talwaar ke bal per kiya, kis ne apna vistaar paise ka lobh dekar kiya. Aur aap kis ko galat maante hain. Aap hindu dharm ki burai kar rahein hai, Kya aapko islaam mein teen baar talaaq talaaq talaaq kaha ker aur sirf maihar mein nirdharit rashi jo baaba aadam ke jamaane mein nirdharit ki gayi ho sakti hai, de kar apni patni ko chhod dene ka tareeka pasad aata hai. Kya istree ke prati aapke sambandhon ko sirf paise dekar paryaapt maan lena istree ki ashmat ka sauda nahin. Kya poori jindagi istree ko Burke mein Band ker uski swatantrata mein chaar chaand lagaa rahein hain. Kya pati ke baap dwaara balatkaar karne ki sazaa patni ko dene waale samaaj ki khubiyaan pasand hain aapko. Yedi yeh sahi hai ki aap musalmaan hain to mujhe aapse koi gila nahin hai aapke musalmaan hone per. Yedi aap Hindu hokar aisee baat kar rahein hain to mujhe sharm aati hai aap ki sauch per. Main Aapko chunauti deta hoon ki aap Hindu dharm, Islaam evam evam Christianity ke siddhanto per ki ve DARSHANTA ke kitne najdeek hain. Kuchh log dharm ki burai karne wale bhi mil jaatein hain magar unhein nahin maaloom ki Dharm ne duniya ka kitna bhalaa kiya hai. Dharm na hota to aaj aadmi “man is a social animal” ki kahaawat per hi apne kadam ragad raha hota. Kisi bhi Niyam evam siddhant mein samay ke saath buraiyaan ikaathi hone lag jaati hain Yedi ham un kamiyon ko samaapt karne ki vyavastha nahin karte hain to. Manushya ka vivek uske jad pan ko khatam karta hai. Na ki jadta. Islaam aajkal Jadta ke pher mein phansa hua hai jabki Hindutwa Sudhar ki Aur chal pada hai. Dekein Usmein Kitne jad log rukaavat daltein hain. Sudhar ki disha mein karya karne ka matlab ye nahin hai ki poorv ki sabhi achchi baatoun ka mahatwa samapt ho gayaa hai.
Satish Mudgal

Chhaya ने कहा…

the thing is.. the more fundamentalist one party becomes, the more fundametalist the other one has to be. Even i witnessed the same thing a few days back in Srinagar. a friend started saying that there was a Paki flag on one of the house boats. i had to make him understand that it was just an islamic flag, not a Pakistani one as it did not have the white strip.

S C Mudgal ने कहा…

Chhaya ji evam Rajneesh Jha ji,

Aap ke hisaab se kuchh log Islaam ke prateek jhande ko Pakistaan ka jhandaa Maan ker galatfahamiyan paida ker rahein hain. Chalo hum maan letein hain ki vo galti per hein per kya aap unke Islaami Jhande phaharane ko sahi va unka adhikaar maanti hain yedi haan to mein aapse poochhta hoo ki aap hindu hoker kya bhagwa faharaane ke apne adkhikaar ka kabhi prayog karti hain. Yedi aapke bhagwa faharaaye binaa hi aapke saare adhikaar surakshit hain aur aap purna surakshit hain to phir islaam ka jhandaa faharaaye bina musalmanon per kaun sa pahaar toot para jo aap unki himaayat karne lagi. Ye islaam ka jhanda fahara-fahara ker to Pakistan ban gayaa.

Kya aap mujhe bata sakti hain ki poore hindustan ke kisis gaon mein jahan sirf ek musalmaan rahata hai kya kisi hindu ne uske adhikaar ka hanan kiya ho magar hum aisi anek jagah batatein hain jahaan Musalmaano ke madhya rahne waale hindu ke adhikaaron ki swatantrata ki gaatha. Aur kya batayein Bharat pakistan bantwaare ke baad jo hindu pakistan va bangladesh mein raha gaye the unki jansankhya ka pratishat kya evam Hindu Musalmaan ke bantwaare karne waale magar hindustan mein raha gaye musalmaano ke pratishat ka vartmaan aankda dekh lijiye, hamein kuchh kahane ki aavashyakta hi nahin rahegi. Jab America Afganistan evam Iraq Per aakraman kar raha tha to kuchh log hindustan mein yeh dar phaila rahe the ki aaj yedi America unper aakraman ker raha hai to kal tumhari baari hogi isliye is aakraman ka purjaur viraudh hona chahiye.

Arthat jo bharat mein nahin ho raha uska hamein virodh karna chahiye thatha magar jo bharat ke saath hua hai usse seekh lekar us tarah ki rashtrabhanjak gatividhiyon ka virodh nahin hona chahiye. Itihaas dekh lo ki Islaam poori duniya mein kaise phailaa hai. Kya America ke dar ki baat Islaam se derne ki baat se alag hai. Yeh kahan ki doordrishti hai.
Pakistaan banne ke baad bhi yedi aap logon ko samajh nahin Aa rahaa to kabootar aur billi ki kahaawat hi manni hogi ki billi ke aane per kabootar aankh band ker tumhari tarah hi poochhta hai ki billi kahaan hai.

Hindustaan mein aisa koi bhedbhaw nahin hai jo musalmaan kisi heen bhawana ko paalein. Yahaan musalmaano ko muslim desho se bhi jyaada swatantrata hai. Magar hamaare hindustaan ke pradhan mantri Manmohan ji kahtein hain ki hindustan ke sansadhanon per sabse pehla adhikaar musalmaanon ka hai kyonki unmein gareebi hai.
Aao jara dekhein ki musalmaano mein gareebi kya bharat mein unke prati vyavhaar theek nahin kiya jaata, isliye hai ya Usko jabardasti mudda banaya jaata hai. Yedi pichhle saalon mein atma hatya karne waalon ke ankare dekhein to pata chalega ki Unmein Musalmaano ki sankhya desh mein unki jansankhya ke pratishat se kahin mel nahin khati.
Bharat mein unke prati jan bhawana ko dekhein to pata chalta hai ki film Industry mein jyadaatar hero Musalmaan hi hai. Bhartiya Cricket Team mein Unke anoopaat se kahin jyaada musalmaan hain. Media mein karyarat musalmaano ki sankhya bhi unke pratishat se jyaada hai jo ki aaj ki taarikh mein sarvadhik powerful hai. Phir bhi ye kahana ki musalmaanon ke prati sauhard rakho. Sauhard kise bura lagta hai. Magar Mujhse sauhard mile bagair kya aap mujhe sauhard de payengi. Nahin. Kahawat bhi hai ki pyaar se bolo ijjat muft milegi.
Magar kya tibbat ke bodhon ki aawaaj sunnewala evam unke haq mein khade hone wala koi hai tum jaisa.
Afsos.
Satish Mudgal

अनोप मंडल ने कहा…

सतीश मुदगल जी कितनी ढ़ेर सारी बातें लिखी,मुसलमान और ईसाई तो आपकी तुलनात्मक नजर में हिंदुत्व के बनिस्पत बुरे सिद्ध हो गये लेकिन क्या बात है जैनों से कोई खास रिश्ता है जो उनमें कोई बुराई नहीं दिखती है?
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

S C Mudgal ने कहा…

Bhai hamne to tumhara bhi naam nahin likha magar tum to samajh gaye na, isi tarah her vah vyakti samajh jata hai jiske liye likha hai. Jaise Musalmaanon va isaiyon ke liye likhne per bhi tum samajh gaye, yeh to rishto ki baat hoti hai, mera kya dosh hai.

Kya lekh mein likhe gaye muddon per kuchh nahi tha comment karne ko. Aavashyak nahin hota comment karna yedi kuchh samajh nahin Aa raha to.

phir bhi dhanyawaad, comment karne per.
Satish Mudgal

खुर्शीद अहमद ने कहा…

Who will make these people understand that muslims all over the world have been using green flags with moon and stars as their religious flag before the existance of pakistan.They only want make hue and cry to poliarize the community.

आत्ममुग्ध ने कहा…

जनाब खुर्शीद मियां,

रमज़ान के इस मुकद्दस माह के आखिरी पडाव पर जिस्मानी, जेहनी और रूहानी तौर पर पाक साफ़ हो कर अल्लाह को हाज़िर नाज़िर रख कर , बिना किसी दलील या तर्क के इस बात का जवाब अता फ़रमायेंगे?

एक विचारधारा के कुछ गुंडो नें दूसरी विचारधारा के धार्मिक आस्था के प्रतीक को तोडा और अपने ताकत का मुज़ाहिरा किया अपने विचारधारा के झंडॆ को लहरा के.( कानून को अपने हाथ में लेकर)

ये गलत है?

(सहमत/असहमत)

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