डॉक्टर रुपेश श्रीवास्तव जी के नाम

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

डॉक्टर साहब ,
महाजाल के सुरेश चिपलूणकर जी उस सोच और विचारधारा के है जिसको हिटलर की नाजी विचारधारा कहते हैभारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ज़माने से यह विचारधारा काफ़ी फली- फूली और पनपी है इस विचारधारा का सम्बन्ध मानवीयता से जरा भी नही है यह लोग हिटलर के उस कुकृत्य को भी सही ठहराते है जिसमें हजारो लाखों लोगो को गैस चैम्बर्स में डाल कर मार डाला थाहजारो लाखो लोगो के ऊपर तमाम सारे सर्जिकल प्रयोग किए गए थे और वो सारे के सारे लोग मर गए थेहिरोशिमा और नागासाकी के ऊपर बम गिराने वालो की विचारधारा से यह लोग ओतप्रोत है आज की परिस्थिती में यह लोग जाति भाषा धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाकर इस देश के टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहते है इनका मानवता से कोई लेना- देना है इस देश से
गाँधी वध क्यों ? इस किताब का बेचना इनका परम कर्तव्य हैसाधारण सी बात है किसी बात से सहमत होना असहमत होना अलग बात है लेकिन उसको मार डालना और उस अपराध को जायज ठहराना उनकी फितरत है और अब इस विचार धारा के लोगो ने देश में काफ़ी स्कूल खोल कर अपनी गन्दी विचारधारा का प्रचार प्रसार बच्चो के बीच में कर रहे है

सुमन

4 टिप्पणियाँ:

KSP1857 ने कहा…

ईस विचारधारा को नजदीक से जानकर तो देखिये। यह जाती-बन्धनो को तोड़ने वाली व भारत को अखण्ड़ बनाने वाली व समय से पूर्व समाज को सचेत करने वाली है।
हालाँकी ईसके राजनितिक पहलू का में भी विरोधी हूँ।

दीनबन्धु ने कहा…

भाई सुमन साहब आपने और डा.साहब ने जो बात कही है वह सामान्यतः हर आदमी की समझ में नहीं आती। लोकतंत्र की अवधारणा को तोड़-मरोड़ कर ये लोग भीड़तंत्र बना रहे हैं इन लोगों को लगता है कि इनके हितों में जो बात है उसके समर्थन में जो कुछ भी हो वह सही है। शिक्षा से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र इनके लिये अखाड़ा है। आपको साधुवाद
जय जय भड़ास

अनोप मंडल ने कहा…

सुमन भाईसाहब आप इन राक्षसी सोच के लोगों का दुःसाहस तो देखिये कि अपनी नीचता को दुनिया के सामने रखते हैं और उसे सही बताने के लिये अपने ही जैसे धूर्तों की फौज इकट्ठा कर लेते हैं। डा.साहब के ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि वे सेक्युलर हैं तो ये इनकी दुष्टता है ऐसा नहीं है कि ये सेक्युलर का अर्थ न जानते हों लेकिन जो नहीं जानते उन्हें तो भ्रमित कर ही सकते हैं। ये सचमुच राक्षस हैं और आप देख सकते हैं कि संजय बेंगाणी इसके पक्ष में आकर हिंदुत्त्व का गाना गा रहा है जबकि वो है जैन राक्षस...
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

भाई सुमन,
आज हमारे देश में सबसे बड़ा विषाद ये जाति पाति मजहब और कौम का ही तो है, जिसका जहर फैलाकर अपने अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए ये लोग कुछ भी कर गुजर जाएँ. इनकी इस विचारधारा की पोल तो वाकई में खुल गयी है और इसका परिणाम इस बार के लोकसभा चुनाव में सभी ने देखा, आधी चड्ढी वाले अपनी चड्ढी सम्हालते नजर आये,
पता नहीं कब समझ आएगा की इस देश की अस्मिता भगवा नहीं हरा नहीं बल्की तिरंगा है.
जय जय भड़ास

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