लो क सं घ र्ष !: मिलावट खोरों व जमाखोरों द्वारा सत्ता का संचालन

शनिवार, 5 सितंबर 2009

आजादी के बाद आज तक मिलावट करने वाले व आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई सक्षम कानून का निर्माण विधायिका ने नहीं किया। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि मिलावट खोरों ने मानव रक्त में भी मिलावट कर पूरे इंसानी समाज से खेलना शुरू कर दिया है और सरकार के पास उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए कोई सक्षम कानून नहीं है, जिससे उनको दण्डित किया जा सके। आज मिलावट खोरों के चलते अधिकांश आबादी को हृदय रोग, मधुमेह, किडनी, लीवर आदि गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं। हड्डियों से देसी घी बनाया जा रहा है। खाद्य पदार्थों में अखाद्य चीजों की भरपूर मिलावट की जा रही हैं। इस सम्बन्ध में न तो केन्द्र सरकार और ना ही प्रदेश सरकार कोई कारगर उपाय कर रही है। चीनी, खाद्य तेल, दालें तथा कुछ सब्जियों का बफर स्टाक करके जमाखोर बड़ी पूँजी के
माध्यम से कृत्रिम अभाव पैदा कर देते हैं और मनमाने तरीके से जनता से ऊँचे दामों पर उपभोक्ता वस्तुएँ बेचते हैं। सरकार उन्हीं से संचालित हो रही है। जब वे चाहते ह,ैं आवश्यक वस्तु अधिनियम तथा खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम में अपनी इच्छानुसार संशोधन करवा लेते हैं। अपमिश्रत खाद्य पदार्थो ंकी प्रयोगशालाएं भी मिलावटखोर चलने नहीं देते और वहाँ से भी इच्छित निष्कर्ष लिखवाकर वाद कायम होने की नौबत ही नहीं आने देते हैं। जरूरत इस बात की है कि बहुसंख्यक आबादी के स्वास्थ्य के साथ खिलावाड़ बन्द होना चाहिए और इसके लिए कठोर कानून की आवश्यकता है।

-मुहम्मद शुऐब
-रणधीर सिंह ‘सुमन’

4 टिप्पणियाँ:

अनोप मंडल ने कहा…

भाई जैन हैं जैन..... क्या अब भी इन सबके पीछे के षडयंत्रकारी राक्षसों को आप नहीं पहचान पा रहे हैं
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

Kagad Kaare ने कहा…

बहुत सुंदर , ऐसा ही और भी लिखते रहिय ..........

Rajeshwar Singh Thakur ने कहा…

they dont make law,as they get share from these miscreants.it will go on as long as we tolerate.

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