प्रेस क्लब ऑफ इंडिया चुनाव : एक अपील

शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

सब से पहले सभी मित्रों को दीपावली छठ की हार्दिक शुभकामना। हेलो मिथिला से अब तक तो आप लोगों से रूबरू होता रहता था मगर इस अपील का एक विशेष प्रयोजन है.

प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, दिल्ली के लिए आगामी २४ को चुनाव होना है और इस चुनाव में कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में मैं चुनाव लड़ रहा हूँ। जिसमे तमाम भाई बंधू से सहयोग की अपील है कि अपना मत देकर समिति में भेजें, जो क्लब के सदस्य नहीं हैं उन भाइयों से आग्रह कि अपने परिचित सदस्यों से समर्थन की अपील करें साथ ही आप सभी भाई बंधुओं के शुभकामना की जरुरत है. जीत हार से इतर आपका सहयोग आर्शीवाद प्रेम मायने रखता है क्यूँकी परिवर्तन की लडाई लड़ने के लिए इनकी ही आवश्यकता होती है.



आमजनों में प्रेस क्लब के लिए जिस तरह की धारणा है कि पत्रकारों के लिए यह सिर्फ दारूबाजी का अड्डा बन गया है, पत्रकार सिर्फ शराब-कबाब के लिए यहाँ आते हैं, किसी पत्रकार के साथ पीने पिलाने की बात हो तो सीधा ठिकाना प्रेस क्लब होता है इस मानसिकता को बदलने की जरुरत है। इसे काफी हॉउस की तरह बनाने की जरुरत है जहाँ पत्रकार मित्र किसी स्टोरी पर चर्चा कर सकें किसी स्टोरी को विशेष बना सकें. पत्रकारिता को सुधारने के वास्ते चर्चा कर सकें. पत्रकारों के दयनीय हालत और शोषण पर विचार कर सकें.


इस मंदी के दौर में सैकडो पत्रकारों को चैनल या अखबार से बाहर कर दिया गया जिसे देखने वाला, चर्चा करने वाला कोई नहीं, ऐसे पत्रकारों के लिए एक मुखर आवाज यहाँ से बुलंद हो जहाँ सहायतार्थ पत्रकार सेवा उपलब्ध हो।


आज पत्रकारों से बेहतर तो वो पायलट, कालेज कर्मचारी और बैंक कर्मचारी हैं जो हड़ताल के माध्यम से अपने बात को मनवा लेते हैं मगर इनकी आवाज को आम जनों तक ले जाने वाला पत्रकार अपने आवाज को ही नहीं उठापाता , अखबार या चैनल में जगह नहीं बना पाता जिसके लिए क्लब में उपयुक्त व्यवस्था हो। अंतर्जाल मीडिया जो की पत्रकारिता के खबर से हमें रूबरू कराती है को प्रेस क्लब में जगह मिलनी चाहिए.


प्रेस क्लब की सदस्यता शुल्क दस हजार है, दिल्ली और एन सी आर के पांच सात बड़े चैनल और अखबार को छोड़ किसी दुसरे पत्रकारों की ऎसी हैसियत नहीं कि वो क्लब के सदस्य बन सकें। क्या प्रेस क्लब सिर्फ बड़े पत्रकारों के लिए है ? क्या डेस्क पर काम करने वाले, छोटे मोटे रिपोर्टर इसके सदस्य नहीं बन सकते? इनके लिए सदस्यता फीस दो से पांच हजार क्यूँ नहीं हो सकती.


प्रेस क्लब में पत्रकारों का आना जाना लगा रहता है इस लिए पत्रकारिता संस्थान से पास हुए नए पत्रकारों के लिए जो नौकरी की तलाश में हैं जिससे प्रेस क्लब की आमदनी तो बढेगी ही साथ ही छात्रों को बड़े और अनुभवी पत्रकारों से सीखने का मौका मिलेगा, इसी के साथ प्रेस क्लब में एक फुल फ्लैज मीडिया सेंटर होना चाहिए जहाँ मीडिया के जरुरत कि तमाम चीजें उपलब्ध हो, कैरम बिलियर्ड्स, टेबल टेनिस, स्कवैश, बैद्मिन्तों जैसी सुविधा मौजूद हो साथ ही बाहर से आने वाले पत्रकारों के ठहराने की सुविधा हो।


पिछले दिनों हमने देखा है कि पैसे के लिए किस तरह यहाँ सर फुटौवल हुआ, इसे देखते हुए खाता बही में पारदर्शिता होना चाहिए। कोई भी बड़ा खर्चा बिना कमिटी के मंजूरी के ना हो. सिर्फ सचिव अपनी मनमर्जी ना चलायें बल्की ईजीएम के माध्यम से ये आगे बढे.


यहाँ सिर्फ नाम के लिए पर्व त्योहारों में लोगों का ना बुलाया जाय बल्की ऐसा माहौल हो कि पत्रकारगण अपने परिवार के साथ यहाँ आ सकें, दारुबाजों के कारण यहाँ परिवार आने से बचता रहता है। यहाँ शराब के साथ लस्सी शरबत और अन्य चीजें उपलब्ध हो. मुर्गा के साथ इडली साम्भर, पोहा, माछ भात, लिट्टी चोखा और मिठाई का इन्तजाम हो. बच्चों के लिए पेस्ट्री चाकलेट मिलना चाहिए.


कॉरपोरेट माहौल हो जहाँ नो स्मोकिंग जोन हो और परिवार के लोग आराम से बैठ सकें। पीआईबी की तरह एक प्रेस कांफ्रेंस सेंटर हो और नए पत्रकारों के लिए कार्यशाला का आयोजन जहाँ तमाम बड़े पत्रकार बच्चों के साथ अनुभव बाँटें. ये नहीं कि मेंबर सिर्फ वोट देने आयें, अभी ७० से ८० फीसदी पत्रकार सिर्फ मतदान के दिन क्लब आते हैं जिसे बदलने की जरुरत है.


आपके सहयोग के लिए आह्वान है, जीत हार तो लगा रहता है बस आपका आर्शीवाद और शुभकामना की एक परिवर्तन का आगाज हो और क्लब एक नयी छवि के साथ अपना सामाजिक सरोकार पूरा करे।


2 टिप्पणियाँ:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

प्रिय हितेन्द्र भाई,भड़ास परिवार आपके साथ है। भड़ास इस दीवाली यानि कि बस कल ही एक बड़ा धमाका करने वाला है जिससे कि बड़े बड़े मीडिया माफ़ियाओं की पतलूनें गीली हो जाएंगी। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

भाई हितेंद्र,
हमारी और भड़ास परिवार का पूरा सहयोग आपके साथ है,
आप विजयी हों.
जय जय भड़ास

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