अंधकार का दीपोत्सव..
गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009
शुभ दीपावली
आइये हम सभी मिल कर इस दीपावली में हर उस घर में दिया जलाएं जहाँ सदिओं से अँधेरा है ये एक प्रयास होगा अंधेरों में रहने वाले उन मासूमों के लिए जिनकी तरफ जवाबदेही से हम बचते रहते हैं लेकिन कब तक बचेंगे ये कोई नहीं जानता.आज हर कोई दीपोत्सव के प्रकाश में सब कुछ भूल जाना चाहता है पर वास्तव प्रकाश कुछ देर के लिए ही होता है और फिर अंधकार हम सभी को अपने आगोश में लेने के लिए मचलने लगता है. मै हमेशा सोचता था की दिवाली वास्तव में उस अंधकार पर विजय का त्यौहार है जिस पर हमेशा के लिए विजय हो चुकी है लेकिन अब देखता हूँ तो वही अंधकार हर दिशा में फैलता जा रहा है और हम अपनी आंखे बंद करके ये सोचते हैं की अभी प्रकाश बाकी है लेकिन जो जा रहा है उसको बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं करते शायद हम कल नहीं देख रहे हैं आने वाला वक़्त जब हमसे प्रश्न करेगा तब हम क्या उत्तर देंगे ये सोचना कोई नहीं चाहता.लेकिन जवाबदेही तो सभी की है.क्या ये नहीं हो सकता की हम इस अंधकार में जी रहे उन मासूमो को रौशनी दिखाने का प्रयास करें जिनके लिए शिक्षा का कोई महत्त्व नहीं या यूँ कहें की वो शिक्षा के महत्व को ही नहीं जानते अगर ऐसा है तो ये ज़िम्मेदारी हमसभी की है की उनको शिक्षित करने के लिए जो भी हो सकता है अपने स्टार से ज़रूर करें शायद यही हम सभी सच्ची दिवाली होगी !
आप सभी को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !
आप सभी को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें !
आपका हमवतन भाई ..गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद)
3 टिप्पणियाँ:
दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!
गुफ़रान भाई आपने सही कहा है जरूरी है कि शिक्षा का प्रकाशोत्सव मनाया जाए।
जय जय भड़ास
सही कहा आपने शिक्षा की रोशनी से ही सही अर्थों में दीवाली आएगी वरना राम तो कब के अयोध्या आए और अपने धाम चले भी गये हम हैं कि दिये ही जलाए पड़े हैं सदियों से....
जय जय भड़ास
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