बाबा राम देव और इंडिया न्यूज़ पत्रिका....

मंगलवार, 3 नवंबर 2009

दिल्ली से प्रकाशित इंडिया न्यूज़ साप्ताहिक ने बाबा रामदेव के सच्चाई को दर्शाती एक खोजपरक रपट प्रकाशित की जिसमें रामदेव के योग गुरु से भोग गुरु की और अग्रतर होने की खुल कर खोज परक विवेचना की गयी है, पत्रिका की पत्रकार सुश्री वंदना भदौरिया ने कड़ी मेहनत और खोजी पत्रकारिता कर इस ढोंगी बाबा के हकीकत को उजागर किया मगर...........

सम्पादकीय में पत्रिका के सम्पादक डाक्टर सुधीर सक्सेना ने बाबा के कार्य पर लिखा नीचे चित्रित है जिसमें बाबा के यात्रा का भटकता लक्ष्य पर बेबाक सम्पादकीय लिखा है।



दिल्ली से ही प्रकाशित एक अन्य पत्रिका प्रथम प्रवक्ता में सुमेरू पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती ने खुल कर बाबा की मुखालफत की है और कहा है कि ग़रीबों के नाम रामदेव इसका इस्तेमाल व्यापार बढ़ाने के लिए कर रहे हैं।
रामदेव के शिविरों में प्रवेश के लिए अब भारी शुल्क अदा करना पड़ता है। योग के बाद आयर्वेद को बढ़ावा दे रहे रामदेव बाबा अपने दवाइयों को लेने की सलाह देते हैं जिनका निर्माण उनके विभिन्न कारखानों में होता है और वे दवाइयां बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी के नाम से बेची जाती है।

स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती कहते हैं कि जिस प्रकार विदेशी कंपनियां इस देश को लूट रही हैं उसी प्रकार योग के नाम पर कारोबार करनेवाले कुछ लोग देश का पैसा विदेश ले जा रहे हैं।

बाबा रामदेव का विशेष जारी है.....

5 टिप्पणियाँ:

kishore ghildiyal ने कहा…

vakai sach kaha hain aapne baba raamdev yog se kamaaii hi kar rahe hain baaki kuchh nahi
http://jyotishkishore.blogspot.com

kavita verma ने कहा…

क्या कहूँ अब तो योगी और भोगी में अन्तर करना कठिन हो गया है.

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) ने कहा…

भड़ास ने सोचा है कि बाबा रामदेव का उपनाम "बाबा दामदेव" रख दिया जाए। अब इनके पास दाम दिये बिना योग नहीं सिखाया जाता है। जिस तरह इन लोगों ने पत्रिका बाजार में आने ही नहीं दी उससे ये चांडाल सोचते हैं कि इनका पूंजीवाद जीत गया। गदहे ये नहीं जानते कि भड़ास का वज़ूद है कैसे बचोगे हमसे? बिना पेले छोड़ेंगे नहीं....
जय जय भड़ास

ज़ैनब शेख ने कहा…

ये रंगे सियार कुत्तों से ज्यादा खतरनाक सिद्ध होते हैं। अग्नि भाई! आगे की कहानी जल्द दीजिये ताकि मैं इसकी जेराक्स प्रतियां बनवा कर लोगों को मुफ़्त बांट सकूं। मैं भी इसके कैम्प में गई थी और पांच सौ रुपए भर कर प्रवेश मिला था
जय जय भड़ास

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