आज, मेरे दिल का ताजा हाल
शनिवार, 14 नवंबर 2009
इस दिल में तन्हाई थी ..
रात के अंधेरे में भी उस की परछाई थी ॥
हम तो मांगते रहे उसे हर दुआ में ..
शायद हमारे ही हाथों की लकीरों में जुदाई थी
रात के अंधेरे में भी उस की परछाई थी ॥
हम तो मांगते रहे उसे हर दुआ में ..
शायद हमारे ही हाथों की लकीरों में जुदाई थी
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