मैं कसाब से शादी करना चाहती हूं.....
बुधवार, 11 नवंबर 2009
जब चार्ल्स शोभराज से उसकी नातिन की उम्र की लड़की ने शादी करी और दुनिया भर में फोकट की प्रसिद्धि पा ली तो मेरे भी दिमाग में एक विचार आया कि ये सब तो चलता है। यानि कि कुल मिला कर ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन जब प्यार करे कोई तो देखे केवल धन( क्षमा करें शायद यहां "मन" है)। मैं खूब सोच चुकी हुं कि कसाब का भारत सरकार कुछ नहीं बिगाड़ सकती क्योंकि मेरा प्यार उसके साथ है। अगर उसने दो चार हजार लोगों को भी पेल दिया होता तो भी उसका कुछ बुरा न होता। भारत सरकार उसे दामाद बना कर रखे है मुझे बड़ी खुशी होती है ये सब देख कर। जल्द ही बकरीद आने वाली है तो प्यारे अजमल्लू क्या तुम बकरा काटोगे या कोई जेल का कर्मचारी ये अपने वकील के द्वारा सरकार को बता देना ताकि जुगाड़ बनाई जा सके। ये सब निपट जाए तो मैं अभी से "कुबूल है...कुबूल है...कुबूल है.... कह रही हूं तुम बस एक बार हां तो कहो। जैसे तुम हैंडसम हो वैसे मैं भी कम नहीं हूं चलता-फिरता एटम बम हूं। अगर तुम मुझे मुंबई लेकर आ जाते तो गोलियां बर्बाद न करनी पड़ती चार-छह हजार तो वैसे ही मर जाते। तुम जल्दी से भड़ास पर अपनी हामी भेजो ताकि भड़ासियों के सामने मैं तुम्हारी दुल्हन बन सकूं। हनीमून अलग मनाएंगे उसके बारे में बाद में बात कर लेंगे।
6 टिप्पणियाँ:
अरे बापरे...तू कौन है कलमुंही जो मेरे कसाब पर डोरे डाल रही है। कुत्ती कमीनी जनमजली मरजानी ... अरे लेकिन तुझे गालियां क्यों दे रही हूं मेरे और तुम्हारे अलावा हमारे कामनली प्यारे कसाब की दो और बीबियां हो सकती हैं पता है न? इसलिये गालियां वापिस करो और हम सब चारों सौतनें आपस में मिलजुल कर रहेंगे, कोई बंदूक साफ़ करेगा और कोई....
जय जय भड़ास
हे प्रभु! क्या कमाल का विचार है आप दोनो के। आदरणीय कसाब जी से निवेदन है कि अब जब हमारे प्यारे देश भारत में समलैंगिकता के संबंधों को भी कानूनी मान्यता मिल चुकी है तो यदि आप चाहें तो चार लड़कियों को पत्नी बनाने के अलावा लड़कों पर भी विचार कर सकते हो भड़ासी इसका बिलकुल बुरा नहीं मानेंगे। वैसे भी आप राष्ट्रदामाद हैं तो अगर भड़ासियों में से भी आपको कोई पसंद हो तो ये हमारा सौभाग्य होगा
जय जय भड़ास
हमारे कानून का रीढ़ विहीन होना पाता नहीं कितनो को इस देश का दामाद बनवायेगा
जय जय भड़ास
लगे रहो और यु ही पेलते रहो ,बहुत बढ़िया विचार
ओह्ह........काश आज इशरत जिंदा होती...कुवारों की सरकार ने मार ही दिया उसे तो...नहीं तो आज मै भी धन्य होने का जुगाड़ बैठाता...क्या करें अब....राष्ट्र पुत्री चली गयी...अब तो बस राष्ट्र दामाद के सहारे ही "नैया" पार लगाना होगा.
nice
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