आज तक चैनल का मतलब !
शुक्रवार, 15 जनवरी 2010
लगातार नौवीं बार सर्वश्रेष्ठ चैनल का खिताब आज तक को और चैनल के समूह संपादक प्रभु चावला को विशेषपुरस्कार यानी की खबरिया दुनिया में आज तक वो नाम है जो सबसे बेहतर ही नहीं आम आदमी की आवाज भी हैऐसा मैं नहीं ये चैनल स्वयं बताती है।)
वस्तुतः निक्कमे लोगों की जमात का यह अनपढ़ जाहिल चैनल अनपढ़ों के सरदार और पत्रकार की जगह ठेकेदारप्रभु चावला के ठेके पर चलने वाला वो सामाजिक भावना बिक्री केंद्र है जहाँ आम लोगों की भावना को अनपढ़ औरजाहिलों के हवाले कर दिया गया हो और पत्रकारिता के शव पर प्रभु चावला और उसके गैंग के गुर्गे बाकायदा पत्रकारिता को बेचने की मुहीम में लगे हुए हों।
पत्रकारिता से इतर ब्लॉग समुदाय जहाँ संजीदा है वहीँ अपनी सामाजिक उपस्थिति दर्ज करा क्रेडिट लेने की भावनासे ऊपर अपने अपने कर्त्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं मगर यहाँ भी आज तक चैनल.......
बीते दिनों सीएसड़ीएस सराय में ब्लोगर मीट थी, और इस मीट को भी बेचने के लिए आज तक मौजूद था मगर अनपढ़ों के भरोसे, क्या बेचने में लगे ये चैनल अपनी मर्यादा से इतर समझ और सूझ बूझ भी सिर्फ व्यवसाय में लगा चुके हैं।ब्लॉग और ब्लोगर समुदाय के बेज्ञानी लेने पहुंचे बाईट और इस मीट पर आधारित खबर में दिखाया अमिताभ बच्चन और आमिर खान को आखिर ये आज तक थ्री इडीयट किसको बना रही है ?
शीर्ष ब्लोगर विनीत ने अपने ब्लॉग में इन खबरियों पर गहरी निराशा व्यक्त की है।
बीते दिनों सीधी बात में राखी सावंत के साथ जिस तरह से प्रभु चावला ने बात चीत की या फिर आज तक चैनल की भाषा में पत्रकारिता की जैसे की कोई ठेकेदार ठीकेदारी करने बैठा हो और कम वस्त्रों वाली महिला से ऊल जुलूल प्रश्न कर अश्लील हँसी के साथ आम घरों में अश्लीलता को परोसने का धंधा कर रहा हो।
नि:संदेह टी आर पी के बाजार में निकम्मे होना सर्वश्रेष्ठ होने की पहली निशानी है।
जय हो प्रभु की...
जय हो आज तक....
जय जय भड़ास
4 टिप्पणियाँ:
Aaj Tak pe news anchors bahot hi insensitive hain. kabhi kabhi ye channel manavta aur shisht-ta ki sabhi maryadao ko tod deta hai.
prabhu chawla is so damn irritating.. most of the time x-(
प्रभु चावला इस देश में पत्रकारिता का शर्म है,
और लानत मलानत आज तक की पत्रकारिता को.
अगर आज तक सर्वश्रेष्ठ है तो भारत की पत्रकारिता चिंतनीय है.
जय जय भड़ास
nice
अग्नि बेटा प्रभु चावला ही क्या अधिकांश लोगों का यही हाल है। आजतक बनियागिरी और चूतियापे से प्रेरित अमानवीयता में सबसे आगे है। पत्रकारिता तो वैसे भी इस देश में समाप्त हो चुकी है तभी तो आजकल हिन्दुस्तान टाइम्स में वाशिंगटन पोस्ट पढ़ने को मिल रहा है जैसे कि भारत में समाचार मर गए हैं
जय जय भड़ास
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