शरद पवार के दिमाग के इलाज के लिये चंदा इकट्ठा करो

शनिवार, 30 जनवरी 2010

शरद पवार के मुंह पर लगे लकवे का असर अब उनके दिमाग पर साफ़ दिखने लगा है उन्होंने कहा है की देश में गरीबी पर नियंत्रण हुआ है और अब गरीब भी खाने लगे हैं तो खाने पीने की चीजों की तंगी होना स्वाभाविक है। अब कोई इस दिमाग के लकवे के मरीज से पूछे कि क्या तू चाहता है कि गरीब आदमी का जीवन स्तर न सुधरे अगर सुधर जाए तो मंहगाई इस हद तक बढ़ा दो कि उस साले नंगे भूखे को उसकी औकात याद आ जाए और फिर वह अपनी सही जगह पर पहुँच जाए। ऐसे लोगों कि सोच अमेरिकी नव उपनिवेश वादी है जो ये चाहते हैं कि गरीबी यथावत बनी रहे ताकि कस कर शासन करके दोहन करा जा सके और कोई विरोध न हो।
जय जय भड़ास

3 टिप्पणियाँ:

प्रकाश गोविंद ने कहा…

suman ji ke bahumoolya vichaaron se sahmat

मुनव्वर सुल्ताना Munawwar Sultana منور سلطانہ ने कहा…

भाईसाहब ये आदमी सठिया गया है इसलिये अल्ल बल्ल कुछ भी बकता रहता है। लोगों को ऐसे बूढे बौराए लोगों को इनकी जगह दिखानी चाहिये, खुद तो चर्बी की दुकान दिखाई देता है
जय जय भड़ास

बेनामी ने कहा…

बीमार देश की पहली पहचान है कि रोगी कृषि मंत्री है जिसने हमारे देश के कृषि सम्पदा को बेचने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. दुर्भाग्य कि प्रधानमंत्री का मौन इस नपुंशक को बधाबा दे रहा है जो देश के लिए घातक है.
जय जय भड़ास

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