ताजमहल और तेजो महालय
शनिवार, 20 फ़रवरी 2010
ताजमहल और तेजो महालय क्या चकर है भाई ,
क्यों नहीं हमारी सरकार इस बात को साफ़ करती ,
प्रो. पी. एन. ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाए,
और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को छानबीन करने दे ....,
शायद ये करने से किसी समुदाय विशेष के भडकने का डर है,
भडासी लोग सब कहा गए ,
आप सभी की पर्तिकिर्या का इंतजार है
10 टिप्पणियाँ:
दुष्ट राक्षस! तुझे लगता है कि भड़ासी सो रहे हैं,ये तुम राक्षस ही हो जो कि लोगों की भावनाओं को भड़का कर दंगे फसाद करवाते हो। समुदायों को आपस में लड़वाते हो और खुद कफ़न और अंतिम संस्कार के सामान की दुकान लगा कर बैठ जाते हो। हो सकता है प्रोफ़ेसर ओक भी तुम्हारा ही पिट्ठू हो जो कि मुर्दे उखाड़ कर दुर्गंध फैला रहा है
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
समुदायों को आपस में लड़वाते हो और खुद कफ़न और अंतिम संस्कार के सामान की दुकान लगा कर बैठ जाते हो। हो सकता है प्रोफ़ेसर ओक भी तुम्हारा ही पिट्ठू हो जो कि मुर्दे उखाड़ कर दुर्गंध फैला रहा हैnice
Tuesday, February 16, 2010
ताजमहल ........एक छुपा हुआ सत्य
भाद्श पर ही किसी अनजान गुमनाम नाम से पर्काशित हुआ है , जब कहा चले गए थे , अबे चूतिये अनूप मंडल तेरा वजूद सिर्फ जैन धर्म का विरोध करने तक ही सिमित है तू और तेरा अनूप्दास स्वामी दुनिया के सबसे बड़े चूतिये है , अबे जब भी मेरा कोई चुटकला भी आता है तो तुम्हारे पिछवाड़े में आग लग जाती है वैसे तुम्हारे पास कोई काम नहीं , अब (चूतिया ) को ले कर शोर मचा बच्चे .........:)
अमित भाई क्या अनूप मंडल से सहमति जताने वाले वकील साहब को भी चूतिया कहने का साहस है? भड़ास पर सब अपने विचार लोकतांत्रिक तरीके से रख रहे हैं तर्क,वाद,बह्स आदि के लिए मंच खुला है एक दूसरे को खूब गालियाँ दीजिये लेकिन उनमें सार्थक विचार हो न कि सिर्फ़ गालियाँ...
जय जय भड़ास
मनीषा जी आपने बिलकुल सही कहा की सभी को अपने अपने विचार लोकतान्त्रिक तरीके से रखने का अधिकार है , किर्पया इन बातों पर भी गौर फरमाए
१)दुष्ट राक्षस! - ये सम्भोधन बार बार अनूप मंडल मेरे लिए पर्योग कर राह है ,क्या इस बात का कोई मतलब है
२)ये तुम राक्षस ही हो जो कि लोगों की भावनाओं को भड़का कर दंगे फसाद करवाते हो- बिना किसी सबूत के आप ये बात कह रहे हो , अब मई आप से पूछता हू क्या किसी एक व्यक्ति के द्वारा किया गया कार्य उस पूरी जाती के उपर डाल देना कहाए , यादी आप इस से सहमत है तो ओसामा बिन लादेन ने जो किया है उस के कसूर वर सारा मुस्लिम समाज है
३) स्सिर्फ़ लिखने की कला से किसी भी अनार्गल बात को लिखना ,कोई ठोश सबूत नहीं ४) देल्ही में जो कुतुबमीनार है , वह जो खम्बे लगे हुए है वो ११०० इस्वी में कुतुब्दीन ने जैन मंदिरों को ध्वस्त कारवा कर उन को यहा लगवाया था , क्या जब भी जैन लोगो ने ये सब करवाया , और ये बात मैं पूर्ण रूप से साक्ष्यों पर आधारित कह रहा हू , आप उन खाम्भी पर से मुर्तिया खुर्ची हुई देख सकते है , और सरकार द्वारा लगाया गया अभिलेख पढ़ सकते है , यदि फिर भी भरोषा न हो तो मैं आप को वो यहो अगली पोस्ट में दिखा दूगा , रही बात वकील साब को गली देने की , किसी का समर्थ करना उस के विचारों से परभावित होने के बाद होता है , शायद असलियत जानने के बाद वकील साहब ही नहीं आप सभी भी सही का ही समार्थान करेगे
gade murde ukhadnesehi sacchai samane ayegi,hindurashtra me hinduonke bhawnaonka apaman ho raha hai,anhe ansaf malanahi chahiye, shivji ka astitva samane anahi chahiye....jai bhole
अमित जी आप बिल्कुल सही बोल रहे है लेकिन आप शायद ये नही जानते कि अनोप मङल ज्ञैसे हजारो अधे , कायर और जयचद लोग हमारे भारत मे आज् भी मौजूद है. ये वो घटिया लोग है जो बिना ठोकर खाऐ नही सुधरेगे
अमित जी आप बिल्कुल सही बोल रहे है लेकिन आप शायद ये नही जानते कि अनोप मङल ज्ञैसे हजारो अधे , कायर और जयचद लोग हमारे भारत मे आज् भी मौजूद है. ये वो घटिया लोग है जो बिना ठोकर खाऐ नही सुधरेगे
श्री पी.एन. ओक साहब को उस इतिहास कार के रूप मे जाना जाता है तो भारत के विकृत इतिहास को पुर्नोत्थान और सही दिशा में ले जाने का किया है। ओक साहब ने ताजमहल की भूमिका, इतिहास और पृष्ठभूमि से लेकर सभी का अध्ययन किया और छायाचित्रों छाया चित्रो के द्वारा उसे प्रमाणित करने का सार्थक प्रयास किया। श्री ओक के इन तथ्यो पर आ सरकार और प्रमुख विश्वविद्यालय आदि मौन जबकि इस विषय पर शोध किया जाना चाहिये और सही इतिहास से हमे अवगत करना चाहिये। किन्तु दुःख की बात तो यह है कि आज तक उनकी किसी भी प्रकार से अधिकारिक जाँच नहीं हुई। यदि ताजमहल के शिव मंदिर होने में सच्चाई है तो भारतीयता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। आज भी हम जैसे विद्यार्थियों को झूठे इतिहास की शिक्षा देना स्वयं शिक्षा के लिये अपमान की बात है, क्योकि जिस इतिहास से हम सबक सीखने की बात कहते है यदि वह ही गलत हो, इससे बड़ा राष्ट्रीय शर्म और क्या हो सकता है ?श्री पी.एन. ओक का दावा है कि ताजमहल शिव मंदिर है जिसका असली नाम तेजो महालय है। इस सम्बंध में उनके द्वारा दिये गये कुछ तर्कों का हिंदी रूपांतरण इस प्रकार हैं –
शाहज़हां और यहां तक कि औरंगज़ेब के शासनकाल तक में भी कभी भी किसी शाही दस्तावेज एवं अखबार आदि में ताजमहल शब्द का उल्लेख नहीं आया है। ताजमहल को ताज-ए-महल समझना हास्यास्पद है।
शब्द ताजमहल के अंत में आये 'महल' मुस्लिम शब्द है ही नहीं, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से पुकारा जाता हो।
साधारणतः समझा जाता है कि ताजमहल नाम मुमताजमहल, जो कि वहां पर दफनाई गई थी, के कारण पड़ा है। यह बात कम से कम दो कारणों से तर्कसम्मत नहीं है - पहला यह कि शाहजहां के बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नहीं, उसका नाम मुमताज़-उल-ज़मानी था और दूसरा यह कि किसी इमारत का नाम रखने के लिय मुमताज़ नामक औरत के नाम से "मुम" को हटा देने का कुछ मतलब नहीं निकलता।
चूँकि महिला का नाम मुमताज़ था जो कि ज़ अक्षर मे समाप्त होता है न कि ज में (अंग्रेजी का Z न कि J), भवन का नाम में भी ताज के स्थान पर ताज़ होना चाहिये था (अर्थात् यदि अंग्रेजी में लिखें तो Taj के स्थान पर Taz होना था)।
शाहज़हां के समय यूरोपीय देशों से आने वाले कई लोगों ने भवन का उल्लेख 'ताज-ए-महल' के नाम से किया है जो कि उसके शिव मंदिर वाले परंपरागत संस्कृत नाम तेजोमहालय से मेल खाता है। इसके विरुद्ध शाहज़हां और औरंगज़ेब ने बड़ी सावधानी के साथ संस्कृत से मेल खाते इस शब्द का कहीं पर भी प्रयोग न करते हुये उसके स्थान पर पवित्र मकब़रा शब्द का ही प्रयोग किया है।
मकब़रे को कब्रगाह ही समझना चाहिये, न कि महल। इस प्रकार से समझने से यह सत्य अपने आप समझ में आ जायेगा कि कि हुमायुँ, अकबर, मुमताज़, एतमातुद्दौला और सफ़दरजंग जैसे सारे शाही और दरबारी लोगों को हिंदू महलों या मंदिरों में दफ़नाया गया है।
यदि ताज का अर्थ कब्रिस्तान है तो उसके साथ महल शब्द जोड़ने का कोई तुक ही नहीं है।
चूँकि ताजमहल शब्द का प्रयोग मुग़ल दरबारों में कभी किया ही नहीं जाता था, ताजमहल के विषय में किसी प्रकार की मुग़ल व्याख्या ढूंढना ही असंगत है। 'ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।
ताजमहल शिव मंदिर को इंगित करने वाले शब्द तेजोमहालय शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मंदिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।
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