स्वमूत्र पीना और थूक कर चाटने में अंतर है
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010
महाराष्ट्र की नहीं सिर्फ़ मुंबई की बात करी जाए तो आजकल सामंतवादी शक्तियां इस शहर पर कब्जा जमाने के लिये हाथ पैर मार रही हैं उनमें से ठाकरे परिवार के लोग सबसे आगे हैं। कल तक सब देख रहे थे कि राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के गुंडे टैक्सी वालों को जबरन चालीस दिन में मराठी सिखाने के लिये डंडे दिखाते हुए मराठी की किताबें दे रहे थे और साथ में ये धमकी भी कि वरना इकतालिसवें दिन गांव का टिकट दे दिया जाएगा। बेचारे हिन्दी या तमिल या सिख टैक्सी वाले इन से परेशान होकर किसी तरह मराठी सीखने की कोशिश कर ही रहे थे कि अब राज ठाकरे ने थूक कर चाट लिया कि वे उत्तर भारतीयों को मराठी भाषा सीखने नहीं देंगे, सिर्फ़ मराठी भाषा बोलना, लिखना या पढ़ लेना काफ़ी नहीं है महाराष्ट्र में नौकरी चाहिये तो यहां जन्म लेना होगा। हमारे डाक्टर रूपेश जी बताते हैं कि आयुर्वेद में आठ प्राणियों के मूत्र के औषधीय उपयोग हैं और इसमें एक खुद मानव का मूत्र भी उसके लाभ के लिये है इस चिकित्सा को स्वमूत्र चिकित्सा कहते हैं। खुद का पेशाब पी लेना शायद आत्मसम्मान से जोड़ कर नहीं देखा जाता है लेकिन थूक कर चाटना तो किसी चिकित्सा में नहीं आता फिर ये राज ठाकरे वगैरह क्यों ऐसा करते हैं
जय जय भड़ास
2 टिप्पणियाँ:
:)
बहुत खूब,
अपनी जात दिखाना ठाकरे खानदान को आता है, रजुआ ने इस कड़ी को आगे मात्र बढाया है.
जय जय भड़ास
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