भड़ास पर सारे के सारे विदेशी

बुधवार, 24 मार्च 2010

अभी मैं जब कमेंट लिख रहा था तो इस बात को देख कर आश्चर्य हुआ कि भड़ास कर आने वाले आगंतुकों के बारे में बताने वाले गैजेट पर एक भी भारतीय नहीं है सब के सब अमेरिका या अन्य यूरोपीय देशों के। क्या ये आश्चर्य की बात नहीं है कि किसी हिन्दी और देवनागरी के पत्रा की इतनी लोकप्रियता हो कि वह भाषा के विकास के लिये दूसरे महाद्वीपों में भी क्रियाशील हो। भाषा के इस विकास के लिये भाई रजनीश झा और डॉ।रूपेश श्रीवास्तव जी हमेशा याद करे जाएंगे और हमारा ये पत्रा एक मील का पत्थर बन गया है भाषा के विकास क्रम में........ सभी इतर देशीय चाहने वालों, न चाहने वालों को भड़ास की ओर से हार्दिक प्रणाम
जय जय भड़ास

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