राक्षसों की नयी चाल पहले पानी बेचा अब हवा बेचेंगे

शनिवार, 13 मार्च 2010

जैसा कि अनूप मंडल की तरफ से हमेशा देववंशी मानवों को सचेत करा जाता रहा है कि किस तरह असुर लोग धरती पर अर्थशास्त्र में पैतरे अपना कर कब्जा कर रहे हैं। ये जानते हैं कि यदि ये व्यापार आदि के द्वारा खुद को छिपाए रहें और अपने एन्द्रजालिक करतूतों से पृथ्वी के मनुष्यों को भरमाए रहें तो इन्हें कोई समझ न पाएगा और ये अपने उद्देश्य "जयति जिन शासनम" में पूरे उतर सकेंगे। आप इनकी दुनिया को जय करके राज्य करने की दबी हुई मंशा को समझ सकते हैं कि इनके सबसे बड़े व्यापार संगठन का नाम संक्षिप्त में ये कहते हैं "जीतो"(JITO) यानि कि जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन। ये अपनी कपटनीति के तहत पहले कुछ समय तक तो अपने ही प्रचार माध्यमों द्वारा मीडिया के हर आयाम में अपने उद्देश्य का माहौल तैयार करते हैं फिर जब देख लेते हैं कि जनसामान्य के दिमाग में इन्होंने अपनी बात भर दी है तब ये अपना कुटिल व्यापार शुरू करते हैं।
आज की तारीख में मानव जीवन की सबसे बड़ी जरूरत पीने का पानी प्लास्टिक की बोतलों में बंद करके पंद्रह रुपए लीटर बेचा जा रहा है ये अपने साथ अन्य भ्रष्टबुद्धि लोभी लोगों को उस व्यापार में थोड़ा बहुत उतार लेते हैं ताकि ये कहने को हो कि अन्य लोग भी तो उस व्यवसाय को कर रहे हैं तो सिर्फ़ जैनियों को तो बदनाम करा जा रहा है। ये सब इनकी सोची समझी साजिश के तहत करा जाता है। आज एक समाचार पत्र में पढ़ा कि यू.के. में अब शुद्ध हवा को बोतल बंद करके बेचा जा रहा है जो कि एक बोतल दस मिनट के लिए चलेगी। अब आप जब इसी विचार को दो चार साल तक मीडिया द्वारा घेरे जाते रहेंगे तो आप ये मान लेंगे कि वाकई हवा इतनी प्रदूषित हो गयी है कि आपको अब दैनिक जीवन में दूध की तरह दो बोतल शुद्ध हवा भी लेनी चाहिये आपका दिमाग इस बात के लिये राजी करा लिया जाएगा कि ये आपकी जीवनोपयोगी आवश्यकता है जिस तरह मिनरल वाटर के नाम पर इन मायावी दुष्टों ने करा है। एक तरफ ये बिल्डिंगों के जाल खड़े करके जंगल काट रहे हैं दूसरी तरफ हवा बेच रहे हैं तो क्यों न एक दिन ये राक्षस पूरी दुनिया को लाचार करके उस पर राज्य कर सकेंगे। आप यदि अभी भी सचेत हो जाएं तो इनके मायावी कपटजाल से अपनी आने वाली पीढ़ियों को बचा सकते हैं।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

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