रविवार, 18 अप्रैल 2010
आग हूँ
मेरी सांसें अभी थमी नहीं...
फिर उठूंगा, चल पडूंगा।
चुप हूँ लेकिन थमा नहीं...
आग हूँ, फूंको जरा...
फिर जल पडूंगा।
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© भड़ास भड़ासीजन के द्वारा जय जय भड़ास२००८
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1 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब,
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