गुरुवार, 8 अप्रैल 2010
एक क्रांति बनकर सारी दुनिया बदल जाऊंगा
दो-चार पंख क्या काट लिए...
सोचते हो मैं उड़ना भूल जाऊंगा...
हौसलों की उड़ान अभी बाकी है...
तुम देखना एक दिन...
आसमान छूकर आऊंगा।
अपनी हद से भी गुजरकर देख लो...
मैं नहीं डरूंगा...
तुम्हारे बीच से निकलूंगा....
और तुम्हारा गढ ढ़हा जाऊंगा।
मेरी दुम नहीं, जो हिलाता फिरूं यहां-वहां, सबके आगे...
तुम तानाशाह बनकर देख लो...
मैं आंधियों-सा आऊंगा...
एक क्रांति बनकर...
सारी दुनिया बदल जाऊंगा।
अमिताभ बुधौलिया
2 टिप्पणियाँ:
nice
अमिताभ भाई धाँसू है......
हर बन्दे को उस मसीहा का इंतजार है कि वो दिन कब आएगा
जय जय भड़ास
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