लो क सं घ र्ष !: शानो शौकत के लिए वतन बेच देंगे, धरा बेच देंगे, न कुछ भी मिला तो कफ़न बेंच देंगे
शनिवार, 1 मई 2010
दंतेवाडा की घटना के समय  देश में एक तबका बहुत  जोर शोर से अपना सीना  पीट रहा था। उस समय उसे  आदिवासियों की जमीन, हवा, पानी याद नहीं था कि उनका सब कुछ बहुराष्ट्रीय  कम्पनियां, राष्ट्रीय पूँजीपतियों ने  छीन लिया है। सरकार भी बहुराष्ट्रीय  कंपनियों, पूँजीपतियों के एजेंट कि भूमिका में अगर काम करने लगती है तो  अशांति पैदा ही होगी। आज देश में स्थापित सरकार कि स्तिथि जनता के पक्ष में  नहीं है। सीना पीटने वालों की  बात को अगर शत प्रतिशत  मान भी लिया जाए तो  अब सी.आर.पी.एफ  के रामपुर कैंप के  दो अर्मोरार सहित सात  पुलिस विभाग  की गिरफ्तारी  से यह साफ़ हो गया  है कि अपराधियों को आर्म्स  और कारतूस की सप्लाई  नियमित रूप से इन्ही  विभागों द्वारा की जा  रही है। जिन अधिकारियो  और कर्मचारियों के पास  अतिरिक्त आय के साधन  (घूश का मद न होना)  नहीं होते हैं, वह लोग  कारतूस आर्म्स बेंच कर  काम चलते हैं। पुलिस  पी.एस.सी के लोग  जो ऐसी जगहों पर तैनात  हैं जहाँ जनता से रिश्वत  नहीं ली जा सकती है  वह लोग कारतूस, कागज,  जूते-मोज़े, वायरलेस, की  बैटरी, वायेरलेस का सामान  अपराधियों को बेचने का  काम करते रहते हैं ।  राजस्व विभाग व चकबंदी  विभाग के लोग जमीनों  की लिखा पढ़ी में हेरा  फेरी कर किसानो का खून  चूसते रहते हैं। जहाँ  तक उत्तर प्रदेश में  किसी भी थाने, पुलिस  लाइन आयुध भण्डार की  जांच की जाए तो कारतूस  पूरे नहीं मिलेंगे उनको  अपराधियों को बेच कर  अतिरिक्त आय की जाती  है। सरकार कहती है कि  पुलिस विभाग हम चलाते  हैं । अपराधी कहते हैं  कि हम पुलिस विभाग चलाते  हैं। हमारी घूश की आय  से पुलिस पेट्रोलिंग करती  है। अपराधियों की भी  बात सही है कि अगर  वह मासिक रूप से नियमित  रुपया थानों को न दे  तो सरकारी मिलने वाले  पैसे से थाने नहीं चल  सकते हैं। एक-एक सिपाही,  दो-दो तीन-तीन मकान  ट्रक बसें चलवाता है,  जो अपराधियों द्वारा ली  गयी रकम से अर्जित की  जाती हैं। इनके उच्च  अधिकारियो की माली स्तिथि  किसी उद्योगपति से कम  नहीं होती है। इनके खर्चे  पुराने राजाओं से कम  नहीं होते हैं। सी.आर.पी.एफ  रामपुर कैंप पहले से  भी बदनाम है कुछ वर्षों  पूर्व 31 दिसम्बर की  रात को नए वर्ष के  आगमन के अवसर पर सिपाहियों  ने एक दूसरे के ऊपर  फायरिंग कर दी थी जिसमें  कुछ जवान मर भी गए  थे। इसको बाद में   आतंकी  घटना दिखया गया।  जवानो को शहीद घोषित  किया गया और उस फर्जी  घटना में कुछ फर्जी आतंकी  गिरफ्तार भी हुए। हमारे  कुछ साथी ब्लॉगर अत्यधिक  राष्ट्रवादी हैं उनका भी  यह इतिहास रहा है कि  पहले जर्मन नाजीवाद के  मेली मददगार थे, फिर  ब्रिटिश साम्राज्यवाद के एजेंट  रहे हैं और अब अमेरिकन  साम्राज्यवाद की नीति के  अनुरूप हिन्दू मुसलमान का  हल्ला मचाने में आगे  रहते हैं। अजमेर बम ब्लास्ट  में उन्ही के साथियों  की गिरफ्तारी भी हो चुकी  है । गिरफ्तार किये गए  लोगों की शानो शौकत देख  कर यह लिखने के लिए  मजबूर होना पड़ रहा है  कि -  शानो  शौकत के लिए वतन बेच देंगे, धरा बेच देंगे, न कुछ भी मिला तो कफ़न  बेंच देंगे 
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
 
 
 
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