आओ क्विट करें...
शनिवार, 29 मई 2010
नमस्कार ! शतश्रीयअकाल! अस्सलामवालेकुम! पायलागु ! भाईलोग अभिवादन करेजे तक पहुच गयी हो तो आगे बढ़ू...क्यूंकि अपुन तो खालिस दिल से ये सब बोल रहेला है। इसीलिए मसेज दिल तक पहुँच जाये तो बाद में रिप्लाई ठोंक देना मन ही मन भाई..आपसे ये थोड़ी कह रहेला हूँ की मोबइल से ही रिप्लाई देने का है। ओके ओके डोंट टेक इजी हाँ..गंभीर गुफ्तगू वास्ते मैं इधर आयेला हूँ। गुफ्तगू में कोई बात गुदगुदा जाये तो तो दोनों जबड़े फाड़ के हसने का क्या। ..पता है हँसाने का ठेका आजकल किसने ले रखा है। नहीं पता ओ हो बिग ट्रेजडी यार। इधर सारे कामेडियन व्यस्त हैं तो हमारी सरकार ने ये ठेका ले लिया है। जब तक टेंडर निकल कर इसका कचूमर नहीं निकल जायेगा तब तक सभी सरकारी मंत्री, संत्री, भ्रंत्री लोगो को हंसाएंगे। कैसे ? खुद देखिये। राष्ट्रपति को किसी का इंतजार करना पड़ा वह भी २० मिनट। भला कौन है महाशय..वही जो एक हाथ से अपना कान दबाकर भासड देते हैं। हंसी नहीं आई ? ठहरिये ...फ्लैशबैक में चलें। राजधानी में पीएम की पीसी और नतीजा यह की राहुल गाँधी मंत्री बनने के काबिल हो गए हैं? अरे बना दीजिये साहब ! किसने रोका है? बड़े बड़े राजा महराजा मंत्री बने बैठे हैं तो इन्हें बनने क्या परेशानी हो सकती है। इस बात पर तो हमारे कल्लू चाचा भी हंस दिए थे आपको हंसी नहीं आई मतलब मामला सीरियस है। खैर आगे बढ़तेहैं..ट्विटर केस तो याद होगा आपको। अरे वही जिसमे दो लड़ाको की गद्दी छीन गयी। खैर थरूर थोड़े शऊर वाले हैं इसलिए मस्त कोई फर्क नहीं। अलबत्ता जिंदगी के और हसीं पल उनकी झोली में आएंगे। दुसरे सेनानी की झोली में किसी और ने हाथ डाल दिया अब वे बेचारे अपने ही हाथ को नहीं पहचान पा रहे हैं। मुझे पता है आप नहीं हसेंगे... खामखा मस्ती कर रहा हूँ। चलिए दिल्ली में धुल भारी अन्धिया चल रही है। किसी मंत्रालय वालों को कुछ नहीं दिख रहा है। पटरियां टूट रही है , जहाज गिर रहे हैं , रोज भ्रस्ताचारी मिल रहे हैं और सरकार चल रही है। ऐसे ही चलना है तो कोई भी चला लेगा यार....एक बार मौका तो दीजिये। अब तो १०० परसेंट आपको हंसी आ ही गयी होगी..क्योंकि हम जैसे होते ही ऐसे हैं छोटा मुह बड़ी बात करने वाले...लोभी टाएप। जाते जाते अपने लिए मौके की मांग कर गया। क्या करूँ इसी देश का अन्न खा रहा हूँ । जो ससुर खुद मिलावटी है। सरकारी नीतियों की तरह बिज मिलावटी , खाद मिलावटी, अब तो पानी भी मिलावटी आ गया मेरे दोस्त। इतनी मिलावट के बाद, दलालों, बिचौलियों और भ्रस्ताचारियों से होते हुए यह अन्न लालाजी के दुकान में पहुंचता है। रही सारी कसर यहाँ टेनी मारकर पूरी कर दी जाती है। वही खरीद के खा रहा हूँ। कैसे सही रहूँगा। भैया मैं तो कहता हूँ मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा हूँ...आप करेंगे क्या? बोलिए न । बोलिए श्रीमानजी बात करने से ही बात बनती हैं। एक-एक कर सभी बोलने लगेंगे तो हो सकता है सरकार को कुछ सुनाई दे जाय। हो सकता है ये हंसी वाला टेंडर मुझे ही मिल जाय..सॉरी सॉरी फिर बकवास चालू कर दी मैंने। हमेशा अपने चक्कर में परेशां रहता है। सीख इन सरकारी बाबुओं से कुछ सीधी बात नो बकवास...
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