आजादी के मायने.........

रविवार, 15 अगस्त 2010


आजादी के मायने.........
देख रहा हूँ सड़कों पर...
ख़बरों पर........
वेब के पन्नों पर..... संसद में.....
गाँव से लेकर मोहल्ले में.......
नुकड़ के पान दुकान पर या फिर खेतों में......

टी वी हो या अखबार, सभी राष्ट्रवादी सभी देशभक्त.....
सोचता हूँ की हम सब...
हिन्दुस्तानी ही तो हैं.....
सभी देशभक्त भी......
तो आखिर देश की भक्ति देशद्रोह में कैसे बदल जाती है....

घोटाला हो या अपराध...
खून हो या बलात्कार.....
खबर हो या ख़बरों का बाजार....
सब तरफ देशभक्ति का रंग.....

कहीं ये देशभक्ती भी बाजार के कारण तो नहीं ?

सभी देशभक्त ही तो हैं..... तो फिर ये फरेब किस से और कौन कर रहा है....

कहीं ये देशभक्ति फरेब तो नहीं?

--रजनीश के झा--

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