लाला जी एक ही नाम के कई अखबार दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक...... वार्षिक क्यों रजिस्टर कराते हैं?????
बुधवार, 18 अगस्त 2010
पिछले कई दिनों से मीडिया क्लब ऑफ़ इंडिया नाम की वेब साइट पर जब मेरे एक साइबर परिचित ने आग्रह करा कि उस साइट की सदस्यता लेकर लिखें तो हमने सहजता से स्वीकार लिया। वहाँ पाँच हजार सदस्यों का दावा करा जा रहा था तो हमने सोचा कि भाई हो सकता है कि उसमें से पचास तो मेरी बात सुनेंगे और समझेंगे। मुद्दा था नवभारत टाइम्स नामक मुंबई से प्रकाशित हिंदी दैनिक के दो आर.एन.आई. नंबरों का। भड़ास पर तो स्वयंभू शरीफ़ लोगों का साहस नहीं होता कि कुछ टिप्पणी करें बस आते हैं ये देख कर चोर की तरह भाग जाते हैं कि कहीं किसी भड़ासी ने उनका नंगापन जाहिर तो नहीं कर दिया। आज मीडिया क्लब ऑफ़ इंडिया पर एक सच्चे पत्रकार मेरे पोस्ट पर पधारे और मेरी बड़ी लानत-मलानत करी कि मुझे पत्रकारिता की ए बी सी डी का तक पता नहीं है, आर.एन.आई. पत्रकार का विषय नहीं बल्कि मैनेजमेंट का विषय है आदि आदि इत्यादि तो भला लाला जी के खिलाफ़ बोलने वाले भड़ासियों को कौन सहन कर सकता है इसलिये उन्हें उनके स्तर का उत्तर दिया है साथ ही एक गैर सरकारी संगठन चलाने वाले हज़रत ने भी इस विषय में मुंह मारा लेकिन शायद जस्टिस आनंद सिंह का नाम सुन कर नशा फट गया तो चुप्पी मार गये हैं और विषय परिवर्तित करने के लिये उलटी मार कर पलटी हो रहे हैं। ये कोई नहीं बता रहा है कि लाला जी एक ही नाम के कई अखबार दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक...... वार्षिक क्यों रजिस्टर कराते हैं????? जिसके पास उत्तर हो अवश्य दे।
जय जय भड़ास
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