उत्तराखंडः विधानसभा में गूंजा पत्र्ाकार उत्पीडन मामला

सोमवार, 27 सितंबर 2010

उत्तराखंडः विधानसभा में गूंजा पत्र्ाकार उत्पीडन मामला

देहरादून,२4 सितंबर। विधान सभा के मानसून सत्र्ा में गुरूवार को राज्य्ा में पत्र्ाकारों के उत्पीडन को लेकर जोरदार बहस हुई। कांग्रेस विधाय्ाक और सदन में नेता प्रतिपक्ष डा.हरकसिंह रावत ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि राज्य्ा में पत्र्ाकारों का उत्पीडन किय्ाा जा रहा है और छोटे पत्र्ा पत्र्ािकाओं पर सरकार के पक्ष में खबर लिखने का दबाव डाला जा रहा है।

उन्होंने एक पत्र्ाकार संगठन द्वारा विगत दिनों सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के सामने किए गए प्रदर्शन का उदाहरण देते हुए कहा कि स्थिति विस्फोटक हो गई है और पत्र्ाकारों को अपनी बात कहने के लिए धरना प्रदर्शन का सहारा लेना पड रहा है। उन्होंने इस विषय्ा को निय्ाम-५८ के तहत उठाते हुए इसे लोक महत्व का बताय्ाा और विधानसभा अध्य्ाक्ष से इस पर अविलंब चर्चा करवाने की मांग की।

इस मांग को विधानसभा अध्य्ाक्ष ने तुरंत स्वीकार कर लिय्ाा और इस पर चर्चा हुई। इसी मुद्दे को वीरोंखाल से कांग्रेस विधाय्ाक अमृता रावत ने भी उठाय्ाा और उन्होंने कहा कि क्य्ाा अब प्रदेश में छोटी पत्र्ा पत्र्ािकाओं के प्रतिनिधिय्ाों को कोई अधिकार नहीं दिय्ाा जाएगा। श्रीमती रावत ने कहा कि प्रदेश के एक जिला सूचनाधिकारी ने पिछले दिनों जिस तरह से छोटी पत्र्ापत्र्ािकाओं के संवाददाताओं के साथ बदसलूकी की वह निन्दनीय्ा है। उन्होंने सरकार पर वार करते हुए कहा कि सरकार सदन को इसका जवाब दे कि डीआईओं द्वारा ऐसा व्य्ावहार क्य्ाों किय्ाा गय्ाा।

कांग्रेस नेताओं के आरोपों का सरकार की तरफ से उत्तर देते हुए संसदीय्ा कायर््ा मंत्र्ाी श्री प्रकाश पंत ने कहा कि कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनिय्ााद है। उन्होंने कहा कि इन नेताओं को कम से कम सदन में सही बात को रखना चाहिए। उन्होंने एक पत्र्ाकार संगठन के धन्य्ावाद पत्र्ा का हवाला देते हुए कहा िकइस संगठन ने अपनी ११ सूत्र्ाीय्ा मांगों को सरकार के सामने रखा था जिसपर सरकार ने त्वरित कायर््ावाई की और बाकी मांगों पर भी कार्रवाई प्रक्रिय्ााधीन है।

उन्होंने पत्र्ाकारों के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कल्य्ााणकारी कायर््ाो का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार ने पत्र्ाकार कल्य्ााण कोष की स्थापना की है। जिसमें अभी भी तीन करोड का फंड पडा है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में ५२६ मान्य्ाता प्राप्त पत्र्ाकार है जिन्हें राज्य्ा सरकार द्वारा तय्ा की गई सभी सुविधाएं दी जा रही है।
श्री पंत ने कहा कि २॰॰९-१॰ में सरकार ने कुल १२ करोड रूपए के विज्ञापन जारी किए।

उन्होंने कहा कि विज्ञापन देने में किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किय्ाा गय्ाा है और जो जिस लाय्ाक था उसकों उतना विज्ञापन दिय्ाा गय्ाा। संसदीय्ा कायर््ा मंत्र्ाी श्री पंत कहा प्रदेश में हर नागरिक को संविधान के अनुच्छेद १९ के तहत अभिव्य्ाक्ति की पूरी स्वतंत्र्ाता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश के अधिकांश जिलों में प्रेस क्लब की स्थापना की है जहां पर पत्र्ाकारों के हितों को लेकर कायर््ा होता है।
हालांकि सरकार के इस बय्ाान से कांग्रेस विधाय्ाक भडक गए। कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर भ्रामक जानकारी देने का आरोप लगाते हुए सदन से वाक आउट किय्ाा।

इस बीच सदन में उस समय भी माहौल गंभीर हुआ जब सदन में ७॰ के दशक में पूर्व प्रधानमंत्र्ाी श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपात की चर्चा संसदीय कार्यमंत्री प्रकाष पंत ने उठाई।

मामला कांग्रेस द्वारा निय्ाम ५८ के तहत पत्र्ाकार उत्पीडन का मुद्दा उठाए जाने का है। कांग्रेस नेताओं ने जब सरकार पर प्रदेश के पत्र्ाकारों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जवाब मांगा तो सरकार की तरफ से जवाब देते हुए संसदीय्ा कायर््ा मंत्र्ाी प्रकाश पंत ने कहा कि कांग्रेस के इस सवाल ने मुझ्ो ७॰ के दशक में देश में घोषित आपातकाल की य्ााद करा दी।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन केन्द्र्र सरकार ने देश के पत्र्ाकारों को सलाखों में ठूस दिय्ाा था और सभी समाचार पत्र्ाों की बिजली काट दी थी। उन्होंने कहा कि वास्तविक पत्र्ाकार उत्पीडन ऐसी घटनाओं को कहा जाता है। श्री पंत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार पत्र्ाकारों के हितों के लिए सतत प्रय्ात्नशील है।

उन्होंने कहा िकइस समय्ा प्रदेश में ५॰ छोटे दैनिक अखबार,२१३ साप्ताहिक और १५ पाक्षिक समाचार पत्र्ाों के अलावा ७ पंजीकृत पत्र्ािकाएं भी है। इसके साथ ही प्रदेश में ३५ बडे दैनिक,३९१ बडे साप्ताहिक ९७ पाक्षिक समेत कुल ८१८ समाचार पत्र्ा पत्र्ािकाएं है। संसदीय्ा कार्य मंत्र्ाी ने कहा कि इन सभी पत्र्ा पत्र्ािकाओं को सरकार की तरफ से पूरा सहय्ाोग दिय्ाा जा रहा है। उनके इस उत्तर से विपक्ष ने असहमति जताते हुए सदन से वाक आउट किय्ाा। लेकिन इस चर्चा से प्रदेष के पत्रकारों में खुषी व्याप्त है। पत्रकारों का कहना है कि विधानसभा में पत्रकारों की समस्याओं पर इस गंभीर चर्चा से विपक्ष और सरकार की पत्रकारों को लेकर संवेदनषीलता दिखाई देती है।
dehradun se dhirendra pratap singh ki report

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