गिलानी का भारी विरोध ,चला जूता
गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010
देशद्रोहियों को पुचकार ,राष्ट्रवादियों को जेल !
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कश्मीर की आज़ादी : एक मात्र विकल्प " नाम से देश की राजधानी दिल्ली में चल रहा था सेमिनार | भारतवर्ष के दो बड़ा दुश्मन ' सैयद अली शाह गिलानी और एस.आर गिलानी " मंच पर मौजूद था | मण्डी हाउस के एक छोटे से ऑडिटोरियम में 200 के करीब देशद्रोही पाकिस्तानपरस्त लोग मौजूद थे जिनमें से अधिकांश जामिया और जेएनयू के तथाकथित वामपंथी छात्र थे | लेकिन उसी ऑडिटोरियम में राष्ट्रवादियों का एक झुण्ड, जिनमें कश्मीर से भगाए गये हिन्दू युवा शामिल थे , इन्तेजार कर रहा था गिलानी के वक्तव्य का कि वो क्या कहता है ? इतने में मंच संचालन कर रहे सांसद पर हमले के दोषी एसआर गिलानी ने सैयद शाह गिलानी को बोलने के लिए आमंत्रित किया | शाह गिलानी ने माइक पकड़ते हीं कश्मीर को आज़ाद करने की बात कही तो वहां उपस्थित अलगाववादी तत्वों ने भारत मुर्दाबाद और कश्मीर को आज़ाद करो जैसे नारे लगाने शुरू कर दिए | बस फ़िर क्या था , राष्ट्रवादियों के सब्र का बाँध टूट गया और 70 -80 युवाओं के समूह ने मंच के आगे जाकर " भारत माता की जय " , "वन्दे मातरम " , कश्मीर हमारा है " जैसे नारों के साथ गिलानी का विरोध शुरू कर दिया | दोनों ओर से धक्का-मुक्की और नारेबाजी शुरू हो गयी | मंच पर मौजूद देशद्रोही मंच छोड़ कर खड़े हो गये | एक ओर भारत माता की जय तो दूसरी ओर कश्मीर को आज़ाद करो का नारा | इतने में तीन -चार युवकों ने अपने-अपने जूते-चप्पल खोल कर गिलानी को दे मारा | कार्यक्रम बंद हो गया और दोनों गुटों में संघर्ष तेज हो गया | बाहर खड़ी पुलिस अन्दर आ गयी और राष्ट्रवादी युवकों को बाहर निकलने में देशद्रोहियों का साथ देने लगी | लगभग आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर गाड़ी में बिठा लिया | सभी गिरफ्तार युवाओं को सांसद मार्ग थाने लाया गया | रास्ते भर राष्ट्रवादी युवा वन्दे मातरम के नारे लगाते रहे
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जयराम "विप्लव"
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3 टिप्पणियाँ:
वामपंथ और कट्टर इस्लाम की गलबहियाँ अब खुलकर सामने आने लगी हैं। केरल में प्रोफ़ेसर का हाथ काटने की घटना को दबाने और जाँच की गति धीमी करने तथा कश्मीर और नक्सलवादियों के देशद्रोहियों को वामपंथी खुली मदद दे रहे हैं।
इन वामपंथियों को कट्टर इस्लाम की हकीकत उस समय समझ में आयेगी, जब इनके पिछवाड़े पर लात मारकर 24 परगना, मिदनापुर, मुर्शिदाबाद जैसे मुस्लिम बहुल जिले बांग्लादेश में मिलने की मांग करने लगेंगे…
हिन्दुओं और हिन्दुत्व को गरियाने का जो फ़ैशन आजकल चल पड़ा है उसके गम्भीर नतीजे आने वाले कुछ ही वर्षों में दिखाई देने वाले हैं। क्योंकि इन वामपंथियों का टायलेट पेपर की तरह "उपयोग" भारत विरोधी विदेशी शक्तियाँ कर रही हैं।
टायलेट पेपर की तरह "उपयोग
wah क्या बात है , लगे रहो
मुस्लिम बहुल??? शिया या सुन्नी या खोजा या बोहरा या तबलीकी???
ये सवाल डॉ.रूपेश उठाते हैं सारे मुस्लिमों को एक लट्ठ से हाँकना सही नहीं है। राम मंदिर के मामले में शियाओं की राय सुन्नियों से अलग है जबकि दोनो मुस्लिम वर्ग ही हैं क्या सुरेश चिपलूणकर जी के पास इस विषय पर कहने के लिये कुछ है?
जय जय भड़ास
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