बुधवार, 17 नवंबर 2010
उत्तराखंडः निशंक सरकार के संकट मोचक बने चंद्रशेखर उपाध्याय,स्टर्डिया प्रकरण में बचाई लाज
देहरादून, निशंक सरकार में ओएसडी लॉ का दायित्व निभा रहे चंद्र शेखर उपाध्याय ने सरकार को एक बडी राहत दिलाने में सफलता प्राप्त की है। चर्चित स्टर्डिया प्रकरण में विपक्ष सहित कोर्ट में घिरी सरकार को सोमवार को बडी राहत मिली। सोमवार को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष एवं न्यायमूर्ति निर्मल यादव की संयुक्त खंडपीठ में हुई सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी और चंद्र शेखर उपाध्याय की टीम ने निशंक सरकार का इस मामले में मजबूती से पक्ष रखा जिसके बाद माननीय न्यायालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में मुख्यमंत्री को सभी पहलुओं से अवगत नहीं कराया गया।
इस मामले में बीआईएफआर का पक्ष मंगलवार को सुना जाना था लेकिन उच्च न्यायालय के जस्टिस धर्मवीर शर्मा के आकस्मिक निधन के चलते अब इस मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। 29 नवंबर को ही सरकार को माननीय उच्च न्यायालय में पावर प्रोजेक्ट मामले में भी अपना पक्ष रखना है।
बताते चले कि इस मामले में उत्तराखंड जन संघर्ष मोर्चा और इंडिपेंडेंट मीडिया इनिशिएटिव सोसाईटी ने जनहित याचिका दायर कर सरकार पर गलत तरीके से लैंड यूज चेंज कर राजकोष को चूना लगाने का आरोप लगाया है। मामले में कोर्ट की टिप्पणी सरकार के लिए जीवनदान मानी जा रही है। जबकि कोर्ट के इस रूख से इस मोर्चे पर सरकार को घेर रहे विपक्षी दलों को करारा झटका लगा है। उल्लेखनीय है कि चंद्र शेखर उपाध्याय देश के ऐसे कुछ चुनिन्दा लोगों में से है जो एलएलएम की परीक्षा हिन्दी में कराने और उस पर डिग्री दिए जाने की मांग को लेकर सफल देश व्यापी आन्दोलन चला चुके है और खुद हिन्दी में एलएलएम की डिग्री हासिल की है।
श्री उपाध्याय नारायण दत्त तिवारी की सरकार में राज्य के अपर महाधिवक्ता बनकर आए थे। इससे पहले वे इलाहाबाद और लखनउ में न्यायिक पदों पर कुशलतापूर्वक कार्य कर चुके है। उत्तराखंड राज्य में उन्हें विधि और ससंदीय मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। श्री उपाध्याय इससे पहले भी कई सरकारों के संकटमोचक बन चुके है। सोमवार को हुई इस सुनवाई की तैयारियों को लेकर गंभीर श्री उपाध्याय शनिवार को ही अपनी टीम के साथ नैनीताल पहुंच गए थे और दो दिन लगातार गहन बैठकों में अपनी रणनीति को अंजाम दिया जिसका परिणाम है कि सरकार के गले की फासं बने स्टर्डिया प्रकरण में सरकार को बडी राहत मिल गई है।
इस मामले में मंगलवार को बीआईएफआर का पक्ष सुना जाने वाले था लेकिन उच्च न्यायालय के जस्टिस धर्मवीर शर्मा के आकस्मिक निधन के चलते कोर्ट में कंडोलेंस हो जाने से सुनवाई स्थगित कर दी गई है। अब इस मामले में अगली सुनवाई आगामी 29 नवंबर को होगी। इस बीच उपाध्याय की टीम की सफलता को देखते हुए सरकार ने राहत की सांस ली है और अगली सुनवाई में तैयारियों को लेकर समय मिल जाने से प्रसन्नता महसूस की है वहीं सरकार को घेरने के चक्कर में पडे विपक्षियों में मामले का रूख मुडने से मायूसी छा गई है।
29 नवंबर को इस मामले समेत कोर्ट में सरकार को पावर प्रोजेक्ट मामले में भी अपना पक्ष रखना है। इन दोनों महत्वपूर्ण मामलों को लेकर सरकार गंभीर है और शायद इसी के मद्देनजर उसने इन मामलों की पूरी जिम्मेदारी विधि विशेषज्ञ चंद्र शेखर उपाध्याय को दे रखी है। उधर उर्जा के बडे घोटाले में फंसे योगेन्द्र प्रसाद मामले में भी सरकार को राहत मिलने की सूचना है। इस मामले के संज्ञान में आने पर सरकार ने योगन्द्र प्रसाद को उनके पद से हटा दिया था जिसे प्रसाद ने कोर्ट में चुनौती दी है। चूंकी ये मामला जस्टिस धर्मवीर शर्मा की कोर्ट में विचाराधीन था और उनके अचानक निधन से सरकार को इस मामले में तैयारी करने का पर्याप्त समय मिल गया है।
देहरादून से धीरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट
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