आमिर खान की जब जब कोई नई सिनेमा आती है तो सिनेमा के आने से पहले आमिर साहब दिन रातअजान देने लगते हैं, अपने बेहूदा कार्यक्रमों को लोगों के आगे यूँ पडोसते हैं मानों तरबूज के बेल में अंगूर का फल हो और हमारे इलेक्ट्रानिक मीडिया के भोंपू बने सिपाही आमिर के साथ रेंकते हुए बस इसी होड़ में की आमिर का कहीं कुछ छुट ना जाये, वास्तविकता गयी भाड़ में.
इस बार तो धोबी घाट था और धोबी घाट का अजान सबसे ज्यादा होना था क्यूँ की इस स्वयंभू बुद्धिजीवी अभिनेता की बुद्धिजीवी पत्नी ( दोनों को बुद्धिजीवी बनाने में हमारे देश का निहायत ही बेहूदा मीडिया ने अपनी अग्रणी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है) की शुरुआत जो थी.
चार कोण में घूम रहे इस सिनेमा के ख़तम होने के बाद सिर्फ एक सवाल कि इस का नाम धोबी घाट क्यूँ ???
वैसे बुद्धिजीवियों का एक कोना हमेशा अवैध संबंधों के इर्दगिर्द होता है और यहाँ भी इस दंपत्ति ने इस सम्बन्ध को भुनाने में चूक नहीं की. मगर धोबी घाट क्यूँ ??
भड़ास खोज रहा है कि इस दंपत्ति की बुद्धिजीविता ( नौटंकी ज्यादा) में धोबी घाट कहाँ रह गया या फिर ये नाम भी एक स्टंट मात्र.
2 टिप्पणियाँ:
कहाँ थे आप जमाने के बाद आए हैं.....???
किधर गुम हो गए थे भाई आए भी तो आमिर खान और किरण भौजी को डंडा लेकर दौड़ा लिये। आपने अगर पैसे खर्च करके इस फिल्म को देख लिया होगा तभी ये हाल है वरना मुफ़्त में तो हम कुछ भी कूड़ा कबाड़ झेल जाते हैं :)
जय जय भड़ास
लीजिये भाई कर दिया आपकी दी हुई दो हाइपर लिंक करे शब्दों को.....
भड़ास खोज नहीं पाएगा कि इन लिंक्स का क्या मतलब है लेकिन मैं जानने लगी हूं कि ये क्या खेल है :)
यशवंत यशवंत खेलना हो तो बताइयेगा।
जय जय भड़ास
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