धीरज शाह जी,अमित जैन तो कोमा में चले गये तो आप ही विमर्श में आ जाइये

बुधवार, 26 जनवरी 2011

प्राचीन काल से जीवन की उत्पत्ति के विषय में तमामोतमाम मत-मतान्तर हैं। जो साइंस के नजरिये से देखते हैं उन्हें डार्विन और लैमार्क के सिद्दान्त सही लगते हैं लेकिन दूसरी ओर ईसाईयत, इस्लाम, हिंदू धर्म या अन्यान्य धार्मिक मत इस विषय में कदाचित भिन्न राय रखते हैं जो कि कुछ मिलती-जुलती भी है। अनूप मंडल ने कभी जीवन की उत्पत्ति के विषय में कोई राय नहीं दी। स्वामी अनूप दास जी ने ईश्वर के संबंध में कहा है कि उनके इस सृजन का रहस्य कोई नहीं समझ सका है। वे तो बस ईश्वर की बनायी सृष्टि में जो संतुलन बिगाड़्ने वाले बुरे लोग हैं उनकी पहचान कराते हैं जिन्हें वे जैन कहते है जो कि जादू और साइंस के विनाशक पक्ष का समर्थन व प्रयोग करके बाकी सब पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहते हैं धरती माता के द्वारा वरदान स्वरूप दिये गए सभी संसाधनों पर एकछत्र अधिकार जमा लेना चाहते हैं।
धीरज शाह आपने कहा कि न्यायायिक तरीके से हमारे ऊपर कार्यवाही कराने से हम अपने विचार लिखना बंद कर देंगे तो महानुभाव जी हम तो हमेशा से ये चाह्ते हैं कि इस विषय पर चर्चा हो ताकि आप लोगों की सही पहचान जाहिर हो जाए कि आप अल्पसंख्यक हैं या राक्षस लेकिन हरबार आप अपनी कुटिलता से बच निकलते हैं। अमित जैन ने तो सांस लेना ही बंद कर दिया है अब शायद छह-सात महीने कोमा में रहने के बाद फिर कोई चुटकुला, इस्लाम में कमी या हिंदू पुराणों में विसंगति ले कर आएंगे ये सोच कर कि हम अपना मिशन भूल गए। हमें तुम्हारी गालियों का इंतजार है अमित जैन....... तुम तो महावीर सेमलानी और संजय बेंगाणी जैसे ही कायरता दिखा रहे हो। क्या हमने अकारण ही तुम्हारी बहादुरी की तारीफ़ कर दी थी या पत्नी के साथ गलबहियों में व्यस्त हो जैसा कि तस्वीर में दिखते हो।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

2 टिप्पणियाँ:

बेनामी ने कहा…

lage raho kabhi na kabhi ,koi na koi tum se baat kar hi lega , or tumhari bato ko sun hi lega

बेनामी ने कहा…

अब तुम लोगो की कहानी पुरानी हो गई

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