भारत में उग्र वामपंथ

बुधवार, 30 मार्च 2011

आदरणीय महोदय
विनम्र अभिवादन
आशा है कि आप स्‍वस्‍थ एवं सानंद होंगे। निवेदन पूर्वक कहना है कि
महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा में भारत में
उग्र वामपंथ के मुद्दे पर दो दिवसीय (30-31 मार्च) राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी
का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्‍ठी की खबर को प्रकाशनार्थ भेज रहा हूं।
कृपया इसे प्रकाशित कर हमें अनुगृहीत करें। सहयोग अपेक्षित,
प्रेस-विज्ञप्ति
हिंदी वि.वि. में ‘भारत में उग्र वामपंथ के मुद्दे’ पर दो दिवसीय
राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी 30 मार्च से
भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्‍यक्ष व न्‍यायमूर्ति पीवी सावंत होंगे
मुख्‍य अतिथि
वर्धा, 29 मार्च, 2011; उदघाटन सत्र में भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व
अध्‍यक्ष व न्‍यायमूर्ति पीवी सावंत बतौर मुख्‍य अतिथि के रूप में
उपस्थित रहेंगे। सत्र की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति
नारायण राय करेंगे जबकि मानवशास्‍त्री व विश्‍व‍विद्यालय के पूर्व
प्रतिकुलपति प्रो. नदीम हसनैन बीज वक्‍तव्‍य देंगे और सांप्रदायिकता के
विशेषज्ञ प्रो. असगर अली इंजीनियर विशेष वक्‍तव्‍य प्रस्‍तुत करेंगे।
कुलपति विभूति नारायण राय से संगोष्‍ठी के सन्‍दर्भ में पूछने पर बताया
कि एक विचारधारा के तौर पर वामपंथ मनुष्‍य की समानता की प्राप्ति एवं
शोषण मुक्‍त समाज हेतु प्रस्‍तुत हुआ था। इसके विभिन्‍न रूप विभिन्‍न
देशों में देखने को मिलते हैं। भारत के संदर्भ में वामपंथ की एक सशक्‍त
लोकतांत्रिक भूमिका रही है। साथ ही, वर्तमान में इसका एक रूप उग्र वामपंथ
के रूप में हमारे सामने है। आज जिस रेड कोरीडोर इलाके की बात की जाती है
वस्‍तुत: वह भारत में युद्धरत वामपंथ की समस्‍या की ओर हमारा ध्‍यान
आकर्षित करता है। एक लोकतांत्रिक देश में इस उग्र वामपंथ के मुद्दे पर
बहस इसलिए जरूरी है कि यह उग्र वामपंथ अपनी शक्ति एवं वैधता शोषित, दमित
आदिवासियों के नाम पर प्राप्‍त करता है। संगोष्‍ठी के माध्‍यम से यह
देखना लाजिमी होगा कि इस उग्र वामपंथ के असली मुद्दे क्‍या हैं ? इसकी
रणनीतियॉं लोकतंत्र में कहॉं तक जायज है ? किस सीमा तक इसे स्‍वीकार
किया जाना चाहिए? दमित, शोषित लोगों के नाम पर की जाने वाले हिंसक
कार्यवाईयों का आदिवासियों के वास्‍तविक हितों से कितना संबंध है? एक
लोकतांत्रिक राष्‍ट्रीय-राज्‍य इस समस्‍या का सामना कैसे करें? यही
मुद्दे इस संगोष्‍ठी की अवधारणा के मूल में हैं। इस संगोष्‍ठी के माध्‍यम
से इन्‍हीं विषयों का विश्‍लेषण एवं उत्‍तर तलाशने की कोशिश की जाएगी ।
विश्‍वविद्यालय के शोध-समवाय, डॉ. आंबेडकर अध्‍ययन केंद्र, भदन्‍त आनंद
कौसल्‍यायन बौद्ध अध्‍ययन केंद्र व भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई
दिल्‍ली के संयुक्‍त तत्‍वावधान में भारत में उग्र वामपंथ के मुद्दे पर
आयोजित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में देशभर के नामचीन विद्वान अपना उदबोधन
देंगे। विश्‍वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन ने बताया कि
प्रो. रामदयाल मुण्‍डा, राधा भट्ट, जनमोर्चा के संपादक शीलता सिंह,
प्रो.एच.एम. सक्‍सेना, डॉ. वासंती रमन, रेमन मैग्‍सेसे पुस्‍कार से नवाजे
गए संदीप पाण्‍डेय, डॉ. शम्‍सुल इस्‍लाम, साहित्‍यकार प्रो. रमेश
दीक्षित, लोकमत समाचार, नागपुर के संपादक गिरीश मिश्र, दैनिक भास्‍कर के
समूह संपादक प्रकाश दूबे बतौर वक्‍ता के रूप में उपस्थित रहेंगे।
अमित कुमार विश्‍वास

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